हर जगह विवाद भाजपा की वैचारिक दिवालियापन की निशानी : पवन खेड़ा
बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर देश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है

भाजपा की संकीर्ण राजनीति पर पवन खेड़ा का हमला
- बिहार चुनाव में कांग्रेस का तीखा वार, एनडीए पर विश्वासघात का आरोप
- महागठबंधन का घोषणापत्र जनता के साथ धोखे का समाधान: कांग्रेस
- एसआईआर और चुनाव आयोग की भूमिका पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर देश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। आरोप-प्रत्यारोप
के क्रम में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बड़ा बयान दिया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि बीते 20 वर्षों से बिहार के हर वर्ग के साथ विश्वासघात हुआ है।
पवन खेड़ा ने कहा कि आज उस विश्वासघात को खत्म करने और उसका समाधान निकालने का रास्ता दिखाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हर जगह विवाद पैदा करने की कोशिश की जाती है, वह उनकी संकीर्णता और उनके विचारों के दिवालियापन को दर्शाता है। उनके पास देने के लिए कुछ भी ठोस नहीं है।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन ने अपना घोषणापत्र जारी किया। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि आपने देखा है कि महागठबंधन ने पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा की और फिर घोषणापत्र जारी किया। उन्होंने कहा कि जनता देख रही है कि बिहार को लेकर कौन गंभीर है और कौन नहीं।
इससे पहले पवन खेड़ा ने दावा किया कि 20 साल में एनडीए ने जनता को सिर्फ धोखा दिया है। इस बिहार चुनाव में महागठबंधन का घोषणा पत्र जनता के साथ हुए धोखे को सुधारने का रास्ता होगा।
बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चुनावी अभियान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी 29 अक्टूबर को बिहार आ रहे हैं। इसके बाद सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कई कार्यक्रम तय हैं।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को 'जननायक' कहे जाने पर उपजे विवाद पर खेड़ा ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर से कोई मुकाबला नहीं है, वह देश के महान नेता हैं। हम उनसे कोई तुलना नहीं कर रहे। यह विवाद पैदा करने की कोशिश भाजपा करती है। भाजपा के पास दूसरा मुद्दा नहीं है।
उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि हर जगह विवाद करना भाजपा के वैचारिक दिवालियापन को दिखाता है। उनके पास कुछ ठोस नहीं है, सिर्फ संकीर्णता है।
राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले एसआईआर को लेकर खेड़ा ने कहा कि बिहार में जो एसआईआर हुआ, उसके लिए बार-बार सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा, क्योंकि चुनाव आयोग की नियत पर शक था। आयोग ने डोर-टू-डोर कैंपेन नहीं किया, नए वोटर नहीं जोड़े, जबकि 65 लाख वोट काटे। उन्होंने कहा कि 2003 में जारी एसआईआर के दिशा-निर्देश सार्वजनिक करने और उन पर अमल करना चाहिए।


