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बिहार कांग्रेस में टिकट बंटवारे पर बवाल, आनंद माधव ने दिया इस्तीफा

बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में भले ही अब तक सीट बंटवारे को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है

बिहार कांग्रेस में टिकट बंटवारे पर बवाल, आनंद माधव ने दिया इस्तीफा
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टिकट वितरण में पक्षपात के आरोप, कांग्रेस प्रवक्ता ने छोड़ा पद

  • बिहार कांग्रेस में अंदरूनी कलह तेज, टिकट चयन पर उठे सवाल
  • आनंद माधव का इस्तीफा, प्रदेश नेतृत्व पर मनमानी के आरोप
  • कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष, वरिष्ठ नेताओं पर गंभीर आरोप

पटना। बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में भले ही अब तक सीट बंटवारे को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है, लेकिन अब महागठबंधन में शामिल प्रमुख सहयोगी दल कांग्रेस में ही टिकटों को लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता आनंद माधव ने तो राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेज दिया है।

आनंद माधव सहित कई नेताओं ने टिकट वितरण को लेकर प्रदेश के कई वरिष्ठ नेताओं पर पार्टी के प्रदेश नेतृत्व पर पक्षपात और मनमानी के आरोप लगाए हैं। पटना में कांग्रेस के ‘रिसर्च सेल’ के अध्यक्ष आनंद माधव, पूर्व प्रत्याशी गजानंद शाही सहित कई नेताओं ने संवाददाता सम्मेलन कर प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राजेश राम पर गंभीर आरोप लगाए।

इन नेताओं ने कहा कि टिकट वितरण में वर्षों से पार्टी के लिए संघर्ष कर रहे जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर ऐसे चेहरों को प्राथमिकता दी गई है। आरोप लगाया गया कि टिकट वितरण केवल धनबल के आधार पर हो रहा है। हालांकि, राष्ट्रीय नेतृत्व पर किसी तरह के आरोप नहीं लगाए गए।

आनंद माधव ने कहा कि पार्टी के समर्पित नेताओं को टिकट नहीं दिया गया और वैसे लोगों पर भरोसा जताया गया है, जो हाल फिलहाल में पार्टी में आए हैं। प्रदेश प्रवक्ता आनंद माधव ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा, "मुझे डर है कि पार्टी का टिकट वितरण का तरीका प्रतिकूल परिणाम देगा, और हमें चुनावों में दहाई के आंकड़े तक पहुंचने में संघर्ष करना पड़ सकता है।"

उन्होंने लिखा है कि एक राजनीतिक दल की सफलता उसके सिद्धांतों और अनुशासन पर निर्भर करती है, न कि कुछ चुनिंदा लोगों की इच्छाओं और मनमानी पर। दुर्भाग्य से, कुछ व्यक्तियों के अहंकार ने पार्टी के मूल मूल्यों पर प्राथमिकता ले ली है। उन्होंने यह भी कहा है कि कांग्रेस के कई कार्यकर्ता राहुल गांधी को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। हालांकि, उनके सहयोगियों का सामान्य कार्यकर्ताओं के प्रति रवैया इस सपने को स्थगित कर सकता है।


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