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बिहार में सरकारी सिस्टम की लापरवाही का चौंकाने वाला मामला आया सामने, कुत्ते के नाम पर आवासीय प्रमाण पत्र जारी

पटना से सटे मसौढ़ी में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक कुत्ते के नाम पर आवासीय प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। इस प्रमाण पत्र पर नाम "डॉग बाबू", पिता का नाम "कुत्ता बाबू" और माता का नाम "कुटिया देवी" लिखा हुआ है

बिहार में सरकारी सिस्टम की लापरवाही का चौंकाने वाला मामला आया सामने, कुत्ते के नाम पर आवासीय प्रमाण पत्र जारी
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  • बिहार में कुत्ते के नाम पर आवासीय प्रमाण पत्र जारी
  • प्रमाण पत्र पर राजस्व पदाधिकारी की डिजिटल सिग्नेचर भी मौजूद
  • प्रमाण पत्र पर नाम "डॉग बाबू", पिता का नाम और माता का नाम भी लिखा हुआ

बिहार। पटना से सटे मसौढ़ी में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक कुत्ते के नाम पर आवासीय प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। इस प्रमाण पत्र पर नाम "डॉग बाबू", पिता का नाम "कुत्ता बाबू" और माता का नाम "कुटिया देवी" लिखा हुआ है। यह प्रमाण पत्र मसौढ़ी अंचल कार्यालय के RTPS पोर्टल से जारी किया गया था और इसमें राजस्व पदाधिकारी मुरारी चौहान की डिजिटल सिग्नेचर भी मौजूद है।

पटना जिलाधिकारी ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं और दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही है। अंचलाधिकारी प्रभात रंजन ने बताया कि यह सरकारी दस्तावेज से छेड़छाड़ का गंभीर मामला है और इसमें शामिल RTPS और राजस्व कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी। प्रमाण पत्र को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है और राजस्व पदाधिकारी का डिजिटल हस्ताक्षर भी हटा दिया गया है।

भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने मसौढ़ी अंचल द्वारा डॉग बाबू के नाम से आवासीय प्रमाण पत्र जारी करने के मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह घोर लापरवाही और कर्तव्यहीनता है। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे को SIR से जोड़कर देख रहा है और बाल की खाल निकाल रहा है, जबकि अभी वोटर लिस्ट में आपत्ति डालने के लिए एक माह का समय शेष है।

प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि विपक्ष की सिर्फ विरोध की राजनीति करने की मंशा है और वे मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा इस तरह की लापरवाही और भ्रष्टाचार के खिलाफ है और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग करती है।

इस मामले में आगे की जांच और कार्रवाई की जा रही है, और दोषियों पर कठोर कदम उठाए जाएंगे।

यह मामला सरकारी सिस्टम की लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर करता है। सवाल उठता है कि इतनी बड़ी गलती सिस्टम में कैसे हुई और क्या सिस्टम की गति और भीड़ के बीच प्रमाणिकता की जांच को बलि चढ़ा दिया गया है? इस मामले में आगे की जांच और कार्रवाई की जा रही है, और दोषियों पर कठोर कदम उठाए जाएंगे।


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