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बिहार : स्याह जिंदगी जी रही महिलाओं को 'वूमेन केयर' ने दी रोशनी

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मुसहरी प्रखंड के अंबा सूतिहारा गांव की रहने वाली रधिया देवी के पति का निधन कई वर्ष पूर्व हो गया था।

बिहार : स्याह जिंदगी जी रही महिलाओं को वूमेन केयर ने दी रोशनी
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मुजफ्फरपुर | बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मुसहरी प्रखंड के अंबा सूतिहारा गांव की रहने वाली रधिया देवी के पति का निधन कई वर्ष पूर्व हो गया था। आज वह घर में अकेली हैं। किसी तरह वह अपना पेट भर लेती हैं और जिंदगी चला रही हैं। घर है, लेकिन कमाने वाला कोई नहीं।

सूतिहारा की मधु के पति नेपाल में काम करते हैं और यहां वह विधवा सास के साथ रहती हैं। जिंदगी जीने के साथ अपनी सुरक्षा को लेकर भी हर रोज जद्दोजहद करती है। यही हाल द्वारिकानगर की रहने वाली 65 वर्षीय कालिंदी देवी की है, इनके पास कोई जमीन नहीं है लेकिन वह अपने घर में असहाय हैं। इनके पति की मौत हो चुकी है जबकि बच्चे बाहर कमाने गए हैं।

यह केवल इन महिलाओं की ही कहानी नहीं है। मुजफ्फरपुर सहित राज्य के कई इलाकों में ऐसी कई महिलाएं हैं जिनकी जिंदगी स्याह बन गई है। आज इनके घर, परदेस में रहने वाले ना 'अपने' आ रहे हैं और ना ही इनके जमीन-जायदाद के प्रति इनका मोह ही छूट रहा है। इसी मोह के कारण ये महिलाएं अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही हैं।

इस कोरोना का दौर इनके लिए और कठिन बन गया है। राहत वाली खबर हालांकि यह रही कि एक संस्था ने अपने अभियान 'वूमेन केयर' के जरिए ऐसी महिलाओं की पहचान कर उन्हें राहत पहुंचाने का बीड़ा उठाया जो आज अपनी जिंदगी के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। संस्था द्वारा ऐसी महिलाओं की जिम्मेदारी उठाने के बाद ही इन महिलाओं का दर्द भी सामने आया।

बुजर्ग महिलाओं के लिए हालांकि कोरोना वायरस की चिंता और कम उम्र की महिलाओं के लिए सुरक्षा की चिंता अभी भी सता रही है।

मुजफ्फरपुर में इस कार्य को संभाल रही स्वयंसेवी संस्था महिला समाख्या की प्रमुख पूनम कहती हैं कि ऐसी महिलाओं की संख्या बहुत बड़ी है। एक-एक प्रखंड में हमने 150-200 महिलाओं को चिह्न्ति किया है, जो बिल्कुल अकेली और असहाय हैं। अभी पहले चरण में लगभग 300 महिलाओं को मदद दी गई है। मगर यह संख्या बहुत अधिक है।

उन्होंने बताया कि इन महिलाओं की इस लॉकडाउन में मदद करने के लिए मुजफ्फरपुर, बेतिया, गया, रोहतास, सीतामढ़ी समेत छह जिले में महिलाओं ने मिलकर इसे 'वूमेन केयर' अभियान नाम दिया है। अलग-अलग फेडरेशन के माध्यम से फिलहाल इन्हें मदद पहुंचाई जा रही है। ऐसी सभी महिलाओं की सूची सभी जिले में बनाई जा रही हैं जो अकेली रहती हैं।

पूनम कहती हैं, "ऐसी महिलाएं जो सिलाई जानती है। उनके यहां कपड़ा पहुंचाया गया, जो कुछ बनाकर बेच सके। कई महिलाओं के घरों में राशन पहुंचाया गया।"

उन्होंने बताया कि ऐसी महिलाएं मदद पाकर खुश हैं। समस्याओं से लड़ रही इन महिलाओं को भी अपनी स्याह जिंदगी में एक रोशनी दिखाई दी है।


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