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बिहार जल्द ही मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा : तारकिशोर

बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि केंद्र एवं बिहार सरकार मत्स्य पालकों एवं मछुआ समुदाय के लोगों के जीवन में खुशहाली और समृद्घि लाने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं को संचालित कर रही है

बिहार जल्द ही मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा : तारकिशोर
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कटिहार। बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने यहां शुक्रवार को कहा कि केंद्र एवं बिहार सरकार मत्स्य पालकों एवं मछुआ समुदाय के लोगों के जीवन में खुशहाली और समृद्घि लाने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं को संचालित कर रही है।

उन्होंने कहा कि इस समुदाय के लोगों को मछली के उत्पादन एवं विपणन में सहूलियत प्रदान करने के उद्देश्य से अनुदानित दर पर वाहन को उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे उन्हें अपने पोखर, तालाबों से विपणन के लिए मछली को बाजार तक ले जाने में आसानी हो सके।

उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जल्द ही हम मछली उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होंगे एवं आंध्र प्रदेश पर मछली के मामले में हमारी निर्भरता समाप्त होगी।

कटिहार में आयोजित एक कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना के तहत 14 लाभुकों एवं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 16 लाभुकों सहित कुल 30 लाभार्थियों के बीच अनुदानित वाहन का वितरण किया।

उपमुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि केंद्र सरकार एवं बिहार सरकार मत्स्य पालकों एवं मछुआ समुदाय के लोगों के जीवन में खुशहाली और समृद्घि लाने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं को संचालित कर रही है।

उन्होंने कहा कि मछली पालन के लिए लोगों को राज्य के अंदर एवं बाहर भेज कर तकनीकी प्रशिक्षण देने की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है, जिससे राज्य मछली उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सके।

उन्होंने कहा कि बिहार में विगत वषों में मछली के उत्पादन में आशातीत वृद्घि हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना वर्तमान वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रथम बार क्रियान्वित की जा रही है, जबकि मुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना वर्ष 2016-17 से संचालित की जा रही है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना के तहत सरकार द्वारा वाहन का निर्धारित लागत मूल्य चार पहिया के लिए 4 लाख 80 हजार रुपये, तीन पहिया वाहन के लिए 2 लाख 80 हजार, मोपेड-सह- आइसबक्स के लिए 50 हजार रुपये है, जिसे लाभुक को 90 प्रतिशत अनुदान के साथ उपलब्ध कराया जाता है।

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि योजना से लाभान्वित किए जाने वाले लोगों की धरातलीय स्थिति को ही पंचायतों में जाकर अनुश्रवण करें, जिससे पता चल सके कि सरकार की योजनाओं का वास्तविक लाभ लाभार्थियों को मिल पा रहा है एवं उनके जीवन स्तर में सुधार हो रहा है। इसके लिए उन्होंने जन प्रतिनिधियों से भी सहयोग लेने की आवश्यकता बताई।


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