Top
Begin typing your search above and press return to search.

बिहार की नदियां सावन में भी शांत, किसान परेशान

बिहार से मानसून इस साल अब तक रूठा है। यही कारण है कि सावन महीने में जहां बिहार की छोटी से बड़ी नदियां उफान पर होती थीं

बिहार की नदियां सावन में भी शांत, किसान परेशान
X

पटना। बिहार से मानसून इस साल अब तक रूठा है। यही कारण है कि सावन महीने में जहां बिहार की छोटी से बड़ी नदियां उफान पर होती थीं, वहीं इस साल बिहार में बड़ी नदियां शांत हैं वही छोटी नदियों में पानी नहीं है। सावन की पहचान आमतौर पर झमाझम बारिश के लिए होती है। लेकिन, सावन के एक पखवाड़े गुजर जाने के बाद भी लोग बारिश का इंतजार कर रहे हैं।

इस सावन के महीने में राज्य की बड़ी नदियों की बात करें तो कोसी में ही जलस्तर बढ़ा है। जल संसाधन विभाग के मुताबिक, कोसी बसुआ और बलतारा में खतरे के निशान के करीब है जबकि अन्य प्रमुख नदियां अभी शांत हैं।

पिछले साल की बात करें तो सावन महीने में बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, खिरोई, पुनपुन सभी नदियां उफान पर थी लेकिन इस सावन में इन नदियों का जलस्तर या तो स्थिर है या कम हो रहा है।

राज्य में छोटी नदियों की बात करें तो बटाने, चंदन, चीरगेरुआ, खलखलिया, जमुने, मोरहर, कारी कोसी में पानी नहीं के बराबर है। कुछ नदियों में पानी है भी तो बहाव नहीं है। बताया जा रहा है कि जल्द बारिश नहीं हुई तो कई नदियां सूख जाएंगी।

इधर, बारिश को लेकर किसान आस लगाए बैठे हैं। कृषि विभाग की माने तो राज्य में अब तक एक जून से 25 जुलाई तक सामान्य से 45 प्रतिशत बारिश कम हुई है। सामान्य तौर पर जून, जुलाई में करीब 442 मिलीमीटर बारिश हो जानी चाहिए।

बिहार के किशनगंज और अररिया जिले को छोड़ दें, तो राज्य के 36 जिलों में सामान्य बारिश अब तक नहीं हुई है। बारिश नही होने के कारण किसान आसमान की ओर निहार रहे हैं। बारिश नहीं होने के कारण खेत में लगे धान के बिचड़े तेज धूप से जल रहे हैं।

किसानों के सामने धान की रोपनी की कौन कहे बिचड़े बचाना मुश्किल हो रहा है। कृषि विभाग की मानें तो जमुई, मुंगेर, नवादा, शेखपुरा, औरंगाबाद, गया, अरवल, लखीसराय, भागलपुर, सारण ऐसे जिले हैं जिसमे पांच या उससे कम धान की रोपनी हुई है। कहा जा रहा है जल्द बारिश नहीं हुई तो स्थिति और भयावह होगी।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it