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बिहार की हकमारी नहीं , एनडीए सरकार में 5.22 लाख करोड़ ज्यादा मिले : सुशील

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि केंद्र की एनडीए सरकार में बिहार की कोई हकमारी नहीं हुई

बिहार की हकमारी नहीं , एनडीए सरकार में 5.22 लाख करोड़ ज्यादा मिले : सुशील
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पटना। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार में बिहार की कोई हकमारी नहीं हुई, बल्कि कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार के दस साल की तुलना में पिछले नौ साल में राज्य को 5 लाख 22 हजार 768 करोड़ रुपये ज्यादा मिले हैं।

श्री मोदी ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि एनडीए सरकार में बिहार की कोई हकमारी नहीं हुई, बल्कि केंद्रीय करों में हिस्से के रूप में भी बिहार को पिछली यूपीए सरकार की तुलना में 2 लाख 50 हजार 552 करोड़ रुपये अधिक प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि सहायता अनुदान ( ग्रांट इन एड ) के तौर पर बिहार को यूपीए के दस साल ( 2004-2014) की अपेक्षा एनडीए के नौ साल (2014-2023) में 1 लाख 81हजार 216 करोड़ रुपये अधिक मिले । यह और बात है कि नीतीश कुमार की शराबबंदी नीति के चलते सात साल में राज्य को लगभग 50 हजार करोड़ रुपये के राजस्व से वंचित रहना पड़ा।

नीतीश सरकार में वित्त मंत्री रह चुके भाजपा सांसद ने कहा कि वित्त मंत्री विजय चौधरी और योजना मंत्री बिजेंद्र यादव बतायें कि विभिन्न मदों में अधिक धनराशि देने के साथ पीएम पैकेज भी देना बिहार की हकमारी कैसे है । उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी एक झटके में 32 से बढा कर 42 फीसद कर दी। 10 फीसद की वृद्धि से बिहार जैसे पिछड़े राज्य को सर्वाधिक लाभ हुआ।

श्री मोदी ने कहा कि जिस एनडीए सरकार ने केंद्रीय करों में राज्य को ज्यादा हिस्सा दिया, उस पर जदयू-राजद के लोग हकमारी करने का झूठा आरोप लगा रहे हैं। इस थेथरोलॉजी का जवाब कोई अर्थशास्री नहीं दे सकता । उन्होंने कहा कि 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष तो जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के पूर्व सांसद और बिहार के अर्थशास्री एन के सिंह थे । क्या जदयू बिहारी अर्थशास्री पर बिहार की हकमारी का आरोप लगाना चाहता है।

भाजपा सांसद ने कहा कि वित्त आयोग ने सभी राज्यों के लिए फंडिंग पैटर्न बदला और इससे सबको लाभ हुआ है।


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