बिहार के सरकारी कार्यालयों में अब हस्तकरघा के बने चादर, परदे : नीतीश
बिहार के सरकारी कार्यालयों में अब हस्तकरघा के बने चादर और परदों का ही इस्तेमाल किया जाएगा

पटना। बिहार के सरकारी कार्यालयों में अब हस्तकरघा के बने चादर और परदों का ही इस्तेमाल किया जाएगा। इसकी घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां मंगलवार को कहा कि हस्तकरघा उत्पादों पर बिहार के बुनकरों को सरकार खादी के समान ही सब्सिडी देगी। राष्ट्रीय हस्तकरघा दिवस के मौके पर यहां आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने खादी, हैंडलूम एवं पावरलूम को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि हस्तकरघा को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की नीतियां बनाई गई हैं। इसी के तहत अस्पतालों में सतरंगी चादर योजना की शुरुआत की गई। अस्पतालों में मरीजों के लिए सातों दिन अलग-अलग रंग के चादर बदलने की व्यवस्था की गई।
उन्होंने कहा, "ऐसी व्यवस्था की जाए कि सरकारी कार्यालयों में पर्दे, टेबल पर लगने वाली चादरें आदि का प्रयोग हस्तकरघा निर्मित ही हो।"
मुख्यमंत्री ने कहा कि बतौर कार्यशील पूंजी प्रत्येक बुनकर को 10 हजार रुपये उपलब्ध करवाए जाएंगे तथा हस्तकरघा बुनकरों के सभी लूम अब 68 इंच के फ्रेम वाले लूम में बदल दिए जाएंगे। उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि बैंकों से बातचीत कर उनके ऋणों का वन टाइम सेटलमेंट करवाया जाएगा तथा हस्तकरघा उत्पादों पर बिहार के बुनकरों को सरकार खादी के समान सब्सिडी देगी।
इस क्रम में अपनी बात रखते हुए एक छात्रा ने अंसारी समाज के आरक्षण देने की मांग रखीं। इस पर नीतीश कुमार ने कहा, "सिर्फ अंसारी ही नहीं, बुनकर समाज में शामिल सभी सात वर्ग के गरीबों को आरक्षण मिले। मुस्लिम समाज में जो लोग ऐसे तबके से हैं, उन्हें अनुसूचित जाति में शामिल किया जाना चाहिए। मैं व्यक्तिगत तौर पर इससे सहमत हूं, लेकिन यह मसला राज्य सरकार के हाथ में नहीं है।"
कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, उद्योग मंत्री जय कुमार समेत अन्य गणमान्य मौजूद थे।


