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कन्हैया कुमार का हमला : सरकार को न जनता की तकलीफ की चिंता, न युवाओं की उम्मीद

एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार ने बिहार की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार सरकार को न राज्य के लोगों की तकलीफ की चिंता है, न युवाओं की उम्मीदों की

कन्हैया कुमार का हमला : सरकार को न जनता की तकलीफ की चिंता, न युवाओं की उम्मीद
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बिहार को बचाने का चुनाव है यह: कन्हैया कुमार

  • सुशासन सिर्फ पोस्टरों में, जमीनी हालात बदतर: कन्हैया कुमार
  • कमाई, पढ़ाई, दवाई के लिए पलायन जारी, सरकार जवाबदेही से भाग रही है
  • महागठबंधन ही विकल्प, वोट से तय होगा बिहार का भविष्य: कन्हैया कुमार

पटना। एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार ने शनिवार को बिहार की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार सरकार को न राज्य के लोगों की तकलीफ की चिंता है, न युवाओं की उम्मीदों की। उन्होंने कहा कि बीस साल से सत्ता में रहने वाले अब अपने ही घोषणा पत्र पर तीस सेकंड बात करने से डरते हैं।

उन्होंने यहां एक प्रेस वार्ता में कहा कि छठ महापर्व के बाद बिहार के लोग अब भी 'कमाई, पढ़ाई और दवाई' के लिए बाहर जा रहे हैं। अगर यही सुशासन है, जिसमें हत्या, लूट, बलात्कार और अपहरण रोज की खबर बन गई है तो कुशासन किसे कहेंगे? उन्होंने कहा कि राज्य में सुशासन अब सिर्फ पोस्टरों और नारों में बचा है। दिनदहाड़े अपराध हो रहे हैं और सरकार जवाबदेही से भाग रही है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को बिहार आते ही 'चारा' याद आ जाता है, पर विकास नहीं। कन्हैया कुमार ने शिक्षा व्यवस्था पर बोलते हुए कहा कि तीन साल की डिग्री पांच साल में पूरी होती है, पेपर लीक आम है और विश्वविद्यालयों में अब भी 90 के दशक का सिलेबस पढ़ाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि हॉस्टल की हालत ऐसी है कि वहां रहना जान के जोखिम में डालने जैसा है। शराबबंदी को लेकर उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी अब 'होम डिलीवरी' में बदल गई है। पुलिस की मिलीभगत से कारोबार फल-फूल रहा है। शिक्षकों और सिपाहियों की पेंशन के लिए सरकार कहती है कि पैसा नहीं है। यही इनकी प्राथमिकता है—नेता के लिए पैसा है, जनता के लिए नहीं।

कन्हैया कुमार ने कहा कि यह चुनाव सिर्फ सरकार बदलने का नहीं, बल्कि बिहार को बचाने का चुनाव है। यह चुनाव उस कोशिश को रोकने का मौका है जो बिहार की संपत्ति को गुजरात की तिजोरी में भेजना चाहती है। बिहार के लोग बदलाव चाहते हैं और बदलाव का विकल्प महागठबंधन है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन का विजन रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और समान भागीदारी पर आधारित है। वोट की ताकत जनता के हाथ में है और वही बिहार का भविष्य तय करेगी।


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