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बिहार: पारस, चिराग को लेकर भाजपा में 'असमंजस' या दोनों हाथ में 'लड्डू' !

बिहार और केंद्र में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) शामिल है, इसमें किसी को कोई शक नहीं है लेकिन लोजपा के दो धड़ों के बीच भाजपा में भी असमंजस साफ दिखने लगा है

बिहार: पारस, चिराग को लेकर भाजपा में असमंजस या दोनों हाथ में लड्डू !
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पटना, बिहार और केंद्र में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) शामिल है, इसमें किसी को कोई शक नहीं है लेकिन लोजपा के दो धड़ों के बीच भाजपा में भी असमंजस साफ दिखने लगा है। भाजपा लोजपा के दो धड़ों में किसे अपनाए, इसे लेकर उहापोह में है। वैसे, कहा यह भी जा रहा है कि भाजपा लोजपा के दोनों धड़ों को लेकर दोनों हाथ में लड्डू रखना चाहती है।

भाजपा के नेताओं के हालिया बयान को देखें तो स्पष्ट है कि लोजपा के दोनों धड़ों को लेकर भाजपा अब तक यह निर्णय नहीं ले सकी है।बिहार के मंत्री नीरज कुमार बबलू जहां चिराग को अपना बता रहे, वहीं भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल लोजपा को राजग का अंग बताकर पशुपति कुमार पारस को केंद्रीय मंत्री के बहाने राजग का बता रहे हैं।मंत्री नीरज बबलू कहते हैं कि, चिराग पासवान जी राजग का पार्ट हैं और मुझे लगता है, आगे भी रहेंगे।

इधर, डॉ. जायसवाल कहते हैं कि एनडीए (राजग) के पार्ट जो हैं वह सामने हैं। पशुपति पारस केंद्र में हमारे केंद्रीय मंत्री हैं। लोजपा एनडीए का हिस्सा है।वे चिराग को सीधे तौर नकारते नहीं हैं, लेकिन कहते हैं कि पार्टी व्यक्ति से नहीं होती है। व्यक्ति से नहीं पार्टी से समझौता होता है।

ऐसी स्थिति में राजनीति के जानकार कहते हैं कि भाजपा चिराग को छोड़ना नहीं चाहती है। राजनीतिक समीक्षक और वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर कहते हैं, बिहार विधानसभा चुनाव के पूर्व चिराग जिस तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर निशाना साध रहे थे, उस दौरान भाजपा की रणनीति के संकेत मिलने लगे थे। इसके बाद नीतीश की नाराजगी पर भाजपा ने खंडन जरूर किया लेकिन चिराग को लेकर भाजपा का मोह भंग नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि नीतीश के दबाव में भाजपा भले ही चिराग से अलग दिखने की कोशिश करती हो, लेकिन भाजपा यह भी जानती है कि चिराग के साथ ही रामविलास पासवान का वोटबैंक रहेगा।

ठाकुर का मानना है कि भविष्य में जदयू के राजग से अलग हो जाने की स्थिति में भाजपा चिराग के साथ नया समीकरण तैयार कर सकती है। वे कहते हैं, पशुपति कुमार पारस अगर नाराज भी हुए तो मंत्री पद का लोभ उनको साथ ला सकता है। भाजपा यह भी मानकर चल रही होगी कि भविष्य में चाचा (पारस) और भतीजा (चिराग) एक हो जाएं। इस कारण भाजपा दोनों हाथ में लड्डू रखना चाहती है।जायसवाल के बयानों को भी देखें तो वे भी लोजपा को राजग का अंग बताते हैं और चिराग लोजपा के ही सांसद हैं।

वैसे भाजपा में चिराग और पारस को लेकर चल रहे बयानबाजी को लेकर राजग में भी तनातनी देखने को मिलती है। जदयू के प्रवक्ता अभिषेक झा कहते हैं कि भाजपा नेतृत्व भी कह चुका है कि जिन्हें नीतीश कुमार पसंद नहीं वे राजग का अंग नहीं हो सकते। बिहार में नीतीश कुमार ही राजग का चेहरा हैं।उल्लेखनीय है कि पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव के समय चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजग से चुनाव लड़ने से साफ इंकार करते हुए राजग से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला लिया था।लोजपा ने उन अधिकांश सीटों पर अपने उम्म्ीदवार उतारे थे, जो सीटें जदयू के कोटे में गई थी। इस चुनाव में चिराग की नाराजगी का जदयू को कमी भी चुकानी पड़ी थी।


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