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बिहार : लॉकडाउन के बीच चैती छठ व्रतियों ने दिया डूबते सूर्य को अघ्र्य

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लागू लॉकडाउन के बीच सोमवार को आस्था के महापर्व चैती छठ के तीसरे दिन बिहार के व्रतियों द्वारा अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अघ्र्य दिया गया

बिहार : लॉकडाउन के बीच चैती छठ व्रतियों ने दिया डूबते सूर्य को अघ्र्य
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पटना। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लागू लॉकडाउन के बीच सोमवार को आस्था के महापर्व चैती छठ के तीसरे दिन बिहार के व्रतियों द्वारा अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अघ्र्य दिया गया। लॉकडाउन को लेकर पूरे देश में बंदी का माहौल है, वहीं बिहार में भी प्रशासन ने लोगों को घर में रहकर ही छठ पूजा करने की अपील की थी। इसके बाद ज्यादातर लोगों ने अपने घर में ही भगवान भास्कर को पहला अघ्र्य दिया। इस क्रम में सोमवार की शाम को अधिकांश व्रती अपने घरों की छत पर ही भगवान भास्कर को अघ्र्य दिया। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखा गया।

मंगलवार की सुबह उदीयमान भगवान सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही लोकआस्था का महापर्व चैती छठ संपन्न हो जाएगा।

छठव्रतियों ने सोमवार को डूबते सूर्य को अघ्र्य दिया और भगवान भास्कर से सुख, समृद्धि के साथ कोरोना वायरस के समाप्त होने की कामना की और मन्नतें मांगीं।

लॉकडाउन के कारण पहली बार छठ पर्व के दौरान पटना का गंगाघाट सूना दिखा।

रविवार की शाम में व्रतियों ने चावल-गुड़ की खीर, रोटी बनाकर फल-फूल से विधिवत पूजा कर भगवान भास्कर को भोग अर्पित किया और खरना किया। शनिवार को नहाय खाय के साथ चैती छठ प्रारंभ हुआ था।

राज्य के कुछ क्षेत्रों में छठ पूजा से संबंधित दुकानें अवश्य लगी थी, लेकिन आम छठ पर्व की तरह खरीदारी नहीं हुई। लॉकडाउन के कारण कई व्रती पहले ही छठ व्रत करने की योजना को रद्द कर चुके थे।

उल्लेखनीय है कि छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र माह में, दूसरा कार्तिक माह में। बिहार में इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम और पूरी निष्ठा के साथ मनाया जाता है। चार दिनों के इस अनुष्ठान में सफाई और पवित्रता का खास ख्याल रखा जाता है तथा व्रती अपने परिजनों और सगे संबंधियों के साथ गंगा तट या विभिन्न जलाशयों पर पहुंचकर भागवान भास्कर को अघ्र्य अर्पित करते हैं।


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