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बिहार : सीमांचल के मुसलमानों को रिझाने के लिए भाजपा का 'सूफी संवाद'

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दल अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं

बिहार : सीमांचल के मुसलमानों को रिझाने के लिए भाजपा का सूफी संवाद
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पटना। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दल अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। नीतीश कुमार के महागठबंधन के साथ जाने और बिहार में एआईएमआईएम के पांव पसारने के बाद भाजपा ने भी मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाकों में अपनी पैठ बनाने की रणनीति तैयार की है। भाजपा इसके लिए सूफी संवाद को जरिया बनाने जा रही है।

भाजपा के नेताओं की मानें तो ईद के बाद सीमांचल के जिलों अररिया, पूर्णिया, किशनगंज व कटिहार से इसकी शुरूआत होगी।

जानकारी के मुताबिक, इसके लिए गैर राजनीतिक एक टीम तैयार की जो मोर्चा संभालेगी और इसकी पूरी जिम्मेदारी अल्पसंख्यक मोर्चा को दी गई है। यह टीम मुस्लिम समाज के लोगों को मोदी सरकार की ओर से उनके लिए किए गए कामों की जानकारी देगी। इसके तहत विभिन्न संवाद कार्यक्रमों के जरिए यह बताने की कोशिश करेगी केंद्र की सरकार बिना जाति, पंथ या समुदाय को देखे सभी के लिए काम किया है।

भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि पिछले लोकसभा चुनाव से ज्यादा बड़ी सफलता मुसलमान वोटरों के बिना संभव नहीं है। माना जा रहा है कि इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए भाजपा ने इस रणनीति पर काम कर रही है।

बिहार भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष मोहम्मद तुफैल कादरी ने कहा कि सूफी संवाद का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों तक केंद्र सरकार की योजनाओं के विषय में बताना है। उन्होंने कहा कि ईद के बाद इसकी शुरूआत होगी। इसके तहत सेमिनार, संवाद, कव्वाली आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगें।

भाजपा के मानना है कि उनका मंत्र ही सबका साथ, सबका विकास रहा है। विकास में कभी भी भेदभाव नहीं किया गया है, जिसका फायदा चुनावों में अब तक मिलता रहा है।

भाजपा के एक नेता खुले तौर पर स्वीकारते हैं कि विरोधी भाजपा को मुस्लिम विरोधी बताते हुए मुसलमानों में गलत छवि बना चुके हैं। ऐसे में भाजपा इस छवि को बदलना चाहती है। इधर, कहा भी जा रहा है कि भाजपा की रणनीति मुस्लिम वोटों के बंटवारे की है, जिसे लेकर यह रणनीति बनाई गई है।


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