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इटावा में भाजपा की हार में बड़बोलेपन की रही बड़ी भूमिका

उत्तर प्रदेश की इटावा संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार प्रो. रामशंकर कठेरिया की हार में उनके बोलबचन को प्रमुख रूप से जिम्मेदार माना जा रहा है

इटावा में भाजपा की हार में बड़बोलेपन की रही बड़ी भूमिका
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इटावा। उत्तर प्रदेश की इटावा संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार प्रो. रामशंकर कठेरिया की हार में उनके बोलबचन को प्रमुख रूप से जिम्मेदार माना जा रहा है!

भाजपा के जिला अध्यक्ष संजीव राजपूत ने गुरुवार को बताया कि इटावा संसदीय सीट से भाजपा की पराजय के बाद हाई कमान के निर्देश पर विधान परिषद सदस्य अवनीश पटेल और ब्रज क्षेत्र के पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष विधान परिषद सदस्य रजनीकांत महेश्वरी हार की समीक्षा करने के लिए आए हुए थे। दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से अलग-अलग विधानसभा स्तर की समीक्षा करने के बाद बिंदुवार विश्लेषण तैयार किया है, जिसको हाई कमान को भेजा जायेगा।

तीन बार के सांसद, दो दफा के एससी एसटी कमीशन के चैयरमैन और एक दफा के पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री रहे प्रो.राम शंकर कठेरिया की हार से भाजपा खेमे में हड़कंप मच गया। पार्टी के जिला कार्यालय पर करीब पांच घंटे तक चली समीक्षा बैठक में प्रति विधान सभा की अलग अलग समीक्षा की गई। बैठक में सबसे पहले औरैया,दिबियापुर,सिकंदरा, भरथना और आखिरी में इटावा विधानसभा से जुड़े हुए पदाधिकारी से हार को लेकर उनकी राय ली गई है।

पता चला है कि इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए भाजपा के सांसद उम्मीदवार प्रो. रामशंकर कठेरिया को जिलाध्यक्ष संजीव राजपूत और महामंत्री शिवाकांत चौधरी की ओर से सूचना प्रदान कर दी गई थी लेकिन इसके बावजूद कठेरिया ने यह कहकर बैठक में नहीं आए कि उनको बैठक की सूचना नहीं दी गई।

समीक्षा बैठक करने आए अवनीश पटेल और रजनीकांत माहेश्वरी ने कठेरिया से मोबाइल फोन पर बात की तो कठेरिया की ओर से ऐसा बताया गया कि उनको जिला संगठन की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई है जबकि इटावा सदर से भाजपा एमएलए श्रीमती सरिता भदौरिया ने समीक्षा बैठक के इतर दोनों समीक्षा करने आए अधिकारियों से अलग से बात की है।

समीक्षा बैठक का सही-सही ब्यौरा स्पष्ट तौर पर नहीं मिल सका है लेकिन दबी जुबान से भाजपा के जिम्मेदार नेता ऐसा बताते हैं कि समीक्षा बैठक के दौरान कई अहम बिंदुओं की चर्चाये हुई है। अधिकाधिक पदाधिकारियो की ओर से ऐसा कहा गया है कि संगठन और भाजपा प्रत्याशी के बीच सामंजस्य से नहीं देखा गया है। भाजपा प्रत्याशी प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया को ऐसा लग रहा था कि मोदी और योगी के नाम पर वोट उनका हाल में मिलेगा और उनकी जीत सुनिश्चित हो जाएगी। लाभार्थी योजना का वोट भी मिलने का दावा किया गया था लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका है। इस चुनाव में संविधान बदलने,महंगाई, बेरोजगारी,अग्निवीर जैसी योजनाएं की काट भाजपाई नही कर सके।

भाजपा प्रत्याशी का ओवर कॉन्फिडेंस में रहना और उनकी डायलॉग डिलीवरी भी बड़ा मुद्दा माना गया है। भाजपा कार्यकर्ताओं का संगठित ना होना भी हार की प्रमुख वजह मानी जा रही है। कई पदाधिकारी की ओर से ऐसा बताया गया है कि प्रो. कठेरिया की डायलॉग डिलीवरी आम लोगो के प्रति बेहद खराब रही है जो हार की प्रमुख वजहों में से एक मानी जा सकती है। कई पदाधिकारी ने पुलिस बिजली विभाग और अन्य विभागों के अधिकारियों को भी हार के लिए जिम्मेदार माना है।

गौरतलब है कि चार जून को संसदीय चुनाव के नतीजे आने के बाद प्रोफेसर कठेरिया ने अपनी हार को स्वीकार करते हुए कहा था कि उनकी हार में निजी प्रबंधन में लगे हुए लोगों का बड़ा योगदान माना जा रहा है हालांकि उस वक्त उन्होंने हार की समीक्षा करने की बात कही थी लेकिन खुद व्यक्तिगत तौर पर हार की समीक्षा वह नहीं कर सके हैं।


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