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अल्जाइमर के इलाज में एक और दवा को बड़ी कामयाबी

अमेरिकी कंपनी एली लिली ने अल्जाइमर की एक दवा बनाने में कामयाबी हासिल की है. अल्जाइमर के शुरुआती दौर से गुजर रहे 1200 लोगों पर इसका परीक्षण किया गया है.

अल्जाइमर के इलाज में एक और दवा को बड़ी कामयाबी
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क्लीनिकल ट्रायल्स के बाद सोमवार को संज्ञानात्मक गिरावट को धीमा करने वाली अल्जाइमर की दूसरी दवा के प्रभावकारी असर के बारे में अमेरिका के एक जर्नल में रिपोर्ट छपी है. यह दवा हर चार सप्ताह पर इंजेक्शन के रूप में ली जाती है. दवा बनाने वाली कंपनी एली लिली को उम्मीद है कि साल के आखिर तक अमेरिकी नियामक एजेंसी से इस दवा को मंजूरी मिल जाएगी. कई विशेषज्ञों ने इसे एक बड़ी उपलब्धि बताया है. हालांकि कुछ लोगों ने उच्च लागत और जानलेवा दुष्प्रभावों के जोखिमों को ध्यान में रखते हुए सावधानी बरतने को कहा है.

अल्जाइमर की नई दवा के ट्रायल ने जगाई उम्मीद

बीमारी के लक्षणों में 35 फीसदी की कमी

अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, अल्जाइमर रोग के शुरुआती चरण का सामना कर रहे लगभग 1,200 लोगों पर इस दवा के असर का विश्लेषण किया गया. डोनानेमब नाम की इस दवा ने प्लेसिबो की तुलना में 18 महीने की अवधि में लक्षणों की प्रगति को 35 प्रतिशत तक कम कर दिया. इस दौरान, लोगों के संज्ञानात्मक परीक्षणों के नतीजों और दैनिक कार्यों को पूरा करने की क्षमता को मापा गया था.

यूके डिमेंशिया रिसर्च इंस्टीट्यूट के अंतरिम निदेशक जाइल्स हार्डिंगम ने एक बयान में कहा, "यह पहली जेनरेशन की दवाएं परिपूर्ण नहीं हैं, लेकिन एक महत्वपूर्ण सफलता भी हैं." उन्होंने आगे कहा कि यह समझना जरूरी है कि अल्जाइमर एक जटिल बीमारी है और इस बीमारी में अमाइलॉइड बीटा महज एक एलिमेंट है.

अल्जाइमर की दवा को मामूली लेकिन ऐतिहासिक सफलता

3 लोगों की मौत

नए परिणामों के साथ अमेरिकी मेडिकल एसोसएशन के जर्नल में लिखे एक संपादकीय में, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन फ्रांसिस्को के एरिक विडेरा और उनके सहयोगियों ने कहा कि यह घोषणा जल्दबाजी होगी कि नई दवाएं लंबे समय तक फायदेमंद होंगी.

उन्होंने कहा कि डोनानेमैब और लेकेम्बी अल्जाइमर का इलाज नहीं करते हैं. यह बस स्थिति को थोड़ा कम खराब करते हैं. डोनानेमब और लेकेम्बी के अध्ययन में तीन मौतें भी हुईं जो संभवतः उन उपचारों के कारण हुईं जिनसे मस्तिष्क में रक्तस्राव हुआ. इस दवा को आम लोगों के इलाज के लिए उतारने से पहले थोड़ी और जानकारी जुटानी होगी कि 18 महीने के मरीजों पर क्या असर हुआ. क्या उनकी संज्ञानात्मकता का धीमा होना जारी रहा या फिर मामला उलट गया.

अल्जाइमर के इलाज में 80 फीसदी खर्च मेडिकेयर से आता है लेकिन मरीजों को बाकी का खर्च खुद ही उठाना होता है जो हजारों डॉलर का होता है. इसदावा के परीक्षण में शामिल लोगों में 96 फीसदी गोरे थे. अल्जाइमर से पीड़ित लोगों में ज्यादा बड़ी संख्या काले और लैटिनो लोगों की हैं. इसका मतलब है कि परीक्षण के दौरान डेमोग्राफी का ध्यान नहीं रखा गया.


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