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मोदी सरकार का बड़ा फैसला, आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत 9 महीने बढ़ी अंतिम तिथि

आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) के तहत लाभार्थियों के पंजीकरण की अंतिम तिथि को नौ महीने तक बढ़ाने का मोदी सरकार ने फैसला किया है

मोदी सरकार का बड़ा फैसला, आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत 9 महीने बढ़ी अंतिम तिथि
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नई दिल्ली। आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) के तहत लाभार्थियों के पंजीकरण की अंतिम तिथि को नौ महीने तक बढ़ाने का मोदी सरकार ने फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतिम तिथि को 30 जून, 2021 से 31 मार्च, 2022 तक बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। माना जा रहा है कि इस फैसले से औपचारिक क्षेत्र में अब 71.8 लाख रोजगार पैदा होंगे, जबकि पहले यह आकलन 58.5 लाख रोजगार का था। उल्लेखनीय है कि 18 जून, 2021 तक एबीआरवाई के तहत 79,557 प्रतिष्ठानों के जरिये 21.42 लाख लाभार्थियों को 902 करोड़ रुपये के बराबर के लाभ प्रदान किये गये हैं। 31 मार्च, 2022 तक पंजीकरण की प्रस्तावित बढ़ी हुई अवधि के खर्च को मिलाकर योजना का अनुमानित खर्च 22,098 करोड़ रुपये होगा। इस योजना को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के जरिये क्रियान्वित किया जा रहा है, ताकि विभिन्न सेक्टरों व उद्योगों के नियोक्ताओं पर वित्तीय बोझ कम हो और उन्हें ज्यादा से ज्यादा कामगारों को रोजगार देने का प्रोत्साहन मिले।

एबीआरवाई के तहत ईपीएफओ में पंजीकृत प्रतिष्ठान और उनके वे नये कामगार, जिनकी मासिक आय 15,000 रुपये से कम है, उन्हें फायदा पहुंचेगा, बशर्ते प्रतिष्ठान ने नये कामगार रखे हों या जिन कामगारों का रोजगार एक मार्च, 2020 से 30 सितंबर, 2020 के बीच छूट गया हो। एबीआरवाई के तहत, केंद्र सरकार कर्मचारियों और नियोक्ताओं के अंश (आय का 24 प्रतिशत) की रकम दो वर्ष तक प्रदान करेगी या कर्मचारियों के अंश (आय का 12 प्रतिशत) प्रदान करेगी। यह ईपीएफओ पंजीकृत प्रतिष्ठान के कुल कर्मचारियों की तादाद पर निर्भर करेगा। योजना की विस्तृत जानकारी को श्रम और रोजगार मंत्रालय तथा ईपीएफओ की वेबसाइट पर देखा जा सकता है।

आत्मनिर्भर भारत 3.0 के तहत अर्थव्यवस्था में तेजी लाने और कोविड के बाद आर्थिक विकास की गति के दौरान रोजगार पैदा करने के लिये एबीआरवाई की घोषणा की गई थी। यह योजना देश की अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 महामारी के असर को कम करेगी और कम आय वाले मजदूरों की मुश्किलें दूर करेगी। इसके साथ नियोक्ताओं को व्यापार गतिविधियां दोबारा शुरू करने या व्यापारिक गतिविधियां बढ़ाने के लिये प्रेरित करेगी।


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