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फर्जी हिंदू देश से समझौते के कारण पराग्वे में बड़ा विवाद

दक्षिण अमेरिकी देश पराग्वे के एक सरकारी अधिकारी को इस्तीफा देना पड़ा है. उस अधिकारी ने भारतीय धर्मगुरु के बनाए एक काल्पनिक देश के साथ समझौते पर दस्तखत किए थे जिसके बाद उसकी तीखी आलोचना हुई थी.

फर्जी हिंदू देश से समझौते के कारण पराग्वे में बड़ा विवाद
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स्वयंभू भारतीय धर्मगुरु नित्यानंद द्वारा स्थापित एक काल्पनिक देश युनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद मजाक और आलोचना का शिकार पराग्वे के एक अधिकारी को इस्तीफा देना पड़ा है. नित्यानंद भारत से भागा एक स्वयंभू धर्मगुरु है और आरोप है कि उसके प्रतिनिधियों ने पराग्वे में कई अधिकारियों को बेवकूफ बनाया.

युनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा के साथ मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर दस्तखत करने की घटना के बाद पराग्वे में बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. सोशल मीडिया पर उस अधिकारी का खासा मजाक उड़ाया गया.

कइयों को दिया गच्चा

यह पहली बार नहीं था कि इस काल्पनिक देश के कथित प्रतिनिधियों ने विदेशी नेताओं और अधिकारियों के साथ समझौता किया. इससे पहले वे जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हिस्सा ले चुके हैं. यही नहीं, उन्होंने अमेरिका और कनाडा के अधिकारियों के साथ भी समझौतों पर दस्तखत किए हैं.

पराग्वे में कृषि मंत्रालय के चीफ ऑफ स्टाफ आरनाल्डो कामोरो को बुधवार को इस्तीफा देना पड़ा. एक ही दिन पहले यह खबर आई थी कि कामोरो ने एक काल्पनिक देश के साथ समझौते पर दस्तखत किए हैं.

16 अक्तूबर को हुए इस समझौते में इच्छा जताई गई कि "पराग्वे सरकार से सिफारिश की जाएगी कि युनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित किए जाएं और संयुक्त राष्ट्र समेत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में युनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा को एक संप्रभु और स्वतंत्र देश के रूप में शामिल करने का समर्थन किया जाए.” इस समझौते के दस्तावेजों की प्रतियां सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही हैं.

कामोरो ने एक रेडियो इंटरव्यू में बताया कि इस काल्पनिक देश के प्रतिनिधि उनसे और कृषि मंत्री कार्लोस गिमेनेज से मिले थे. उन्होंने माना कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि यह देश कहां है. उन्होंने कहा कि उन्होंने एमओयू पर इसलिए दस्तखत किए क्योंकि प्रतिनिधियों ने सिंचाई और अन्य कई तरह की सुविधाओं के लिए पराग्वे की मदद करने का आश्वासन दिया था.

क्या है कैलासा?

कैलासा के सोशल मीडिया पर जारी की गई तस्वीरों में पराग्वे के कई अन्य अधिकारी भी समझौते के वक्त नजर आ रहे हैं. ऐसे समझौते देश की कई नगरपालिकाओं के साथ हुए हैं और कैलासा के सोशल मीडिया पर इन्हें उपलब्धियां बताया गया है.

कैलासा की अपनी वेबसाइट भी है, जिस पर इस देश को प्राचीन हिंदू सभ्यता को फिर से जिंदा करने की कोशिश बताया गया है. वेबसाइट कहती है, "अन्य आधुनिक राष्ट्रों से इतर युनाइटे स्टेट्स ऑफ कैलासा (यूएसके) हिंदुत्व का पुनरोत्थान, संरक्षण और प्रबंधन मुहैया कराता है, वैसे ही जैसे वेटकिन रोमन कैथलिक चर्च के प्रबंधन का केंद्र है.”

कैलासा आंदोलन की स्थापना अमेरिका में की गई थी और इसके प्रमुख के तौर पर नित्यानंद परमशिवम नामक एक स्वयंभू हिंदू धर्मगुरु का नाम दिया गया है. नित्यानंद में भारत पर यौन शोषण समेत कई गंभीर आरोपों में केस दर्ज हैं और उसका ठिकाना अज्ञात है.

कैलासा की वेबसाइट पर कई देशों के साथ समझौतों की बात कही गई है, जिनमें घाना और बोत्सवाना भी शामिल हैं. इस वेबसाइट पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा कैलासा रिपोर्ट जारी करने का भी दावा किया गया है.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कैलासा के दो प्रतिनिधि फरवरी में जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हिस्सा लेने में कामयाब हुए थे. इसके अलावा मार्च में अमेरिका के नेवार्क शहर ने भी कहा था कि कैलासा ने उसे बेवकूफ बनाया और अपने एक शहर के साथ सिस्टर-सिटी अग्रीमेंट कर लिया.


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