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सोच एवं दृष्टि के अभाव में भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ का एक वर्ष किया बर्बाद- जोगी

अजीत जोगी : सोच एवं दृष्टि के अभाव,जनता से किए चुनावी वादे पूरा करने में ही नही बल्कि आर्थिक प्रबन्धन करने में भी पूरी तरह से विफल राज्य की भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ का एक वर्ष बर्बाद किया है।

सोच एवं दृष्टि के अभाव में भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ का एक वर्ष किया बर्बाद- जोगी
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रायपुर। जनता कांग्रेस के प्रमुख एवं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा कि सोच एवं दृष्टि के अभाव,जनता से किए चुनावी वादे पूरा करने में ही नही बल्कि आर्थिक प्रबन्धन करने में भी पूरी तरह से विफल राज्य की भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ का एक वर्ष बर्बाद किया है।

श्री जोगी ने राज्य की अगले सप्ताह एक वर्ष का कार्यकाल पूरा कर रही भूपेश सरकार के कामकाज पर यूनीवार्ता से बातचीत में आज यहां कहा कि इस सरकार के एक वर्ष के कामकाज से बड़ी निराशा हुई है। इस दौरान कोई सोच एवं दृष्टि राज्य के विकास की नही दिखी। इस सरकार ने कीमती एक वर्ष नरवा,गरूआ,घुरवा और बारी के प्रचार में बिता दिया। उन्होने कहा कि पुरातन काल से हमारे पूर्वज जो काम करते आए है,उसे यह सरकार बदलते जमाने में अपनी सोच बताकर आखिर क्या जताना चाहती है।

उन्होने कहा कि जमाना डिजिटल युग का है। हमारे पड़ोसी मध्यप्रदेश एवं ओडिशा डिजिटल हब बनाने की बात कर रहे है,आटोमोबाइल्स हब बनाने की बात कर रहे है और इसके लिए प्रयासरत है,पर यहां पर एक वर्ष में कोई सोच नही दिखी कि छत्तीसगढ़ की खनिज सम्पदा का कैसे बेहतर इस्तेमाल हो,जिससे राज्य का राजस्व ही नही बढ़े बल्कि लोगो को रोजगार के नए अवसर भी मिले।

समर्थन मूल्य पर धान खरीद का जिक्र करते हुए श्री जोगी ने कहा कि 2500 रूपए क्विंटल पर धान खरीद करने का बड़ा होहल्ला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं उनकी सरकार ने किया,पर एक ही वर्ष में पहले केन्द्र द्वारा तय राशि पर धान खरीद शुरू की फिर धान का ऱकबा घटाया,एक ही बार की बजाय तीन बार में खरीद करने का फरमान जारी हुआ,इसके बाद खरीद केन्द्रों पर धान की नमी समेत कई नई जांच पड़ताल शुरू करवाई गई। इसका केवल एक ही मकसद है कि किसी तरह कम से कम किसानों से धान खरीदना पड़े।

श्री जोगी ने कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में किए वादे के विपरीत किसानों के सभी ऋणो की बजाय केवल लघु ऋणों को ही माफ किया गया,और शराबबंदी तथा बेरोजगारी भत्ता देने के अहम वादे को पूरा करने के लिए कुछ नही किया गया। उन्होने कहा कि शराबबंदी के वादे की वजह से महिलाओं का कांग्रेस को भारी समर्थन मिला था। शराबबंदी तो दूर शराब की खपत में छत्तीसगढ़ ने पंजाव एवं तमिलनाडु को पीछे छोड़ते हुए नम्बर एक बन गया है।

राज्य में आर्थिक अव्यवस्था होने का आरोप लगाते हुए उन्होने कहा कि राज्य का बजट एक लाख 36 हजार करोड़ तक पहुंच गया है।धान खरीद में अधिककम 20 हजार करोड़ रूपए का व्यय भार अगर मान लिया जाय तो भी बजट की शेष राशि एक लाख करोड़ से भी अधिक होती है,लेकिन राज्यभर से खबरे मिलती है किसी विभाग में बजट नही है,ठेकेदारों के बकाया का भुगतान नही हो रहा है। सड़क,बिजली.पेयजल के जरूरी काम भी नही हो रहे है। आखिर क्यों।

उन्होने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि यह सब राजनीतिक मुखिया की सोच के कारण समस्या है। मुखिया अपनी सोच एवं दृष्टि अधिकारियों को बताते है और उस पर वह काम करते है। उऩ्होने कहा कि राज्य के भारतीय प्रशासनिक सेवा एवं भारतीय पुलिस सेवा के चार छह को अगर छोड़ दिया जाय तो बहुत काबिल अफसर हैं,सही दिशा में अगर उन्हे लगाया जाय तो बहुत अच्छा परिणाम देने की स्थिति में वह है।


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