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भोपाल सांसद प्रज्ञा ठाकुर और रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स आमने सामने, यह है पूरा मामला

"मै स्वाभिमान महिलाओं की मर्यादा सम्मान के लिए खड़ी हूं और खड़ी रहूंगी। ऐसे लोगों की मुझे परवाह नहीं है। मैं पहले नेता नहीं थी, आज नेता हूं, लेकिन में पहले भी महिलाओं के अधिकार और अच्छे समाज के निर्माण के लिए तब भी खड़ी थी और अब भी खड़ी हूं।"

भोपाल सांसद प्रज्ञा ठाकुर और रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स आमने सामने, यह है पूरा मामला
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गजेन्द्र इंगले
भोपाल: भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के विरोध में देशभर के 103 अफसरों ने लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखा है। 25 दिसंबर 2022 को सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने बयान दिया यह कि अपने घरों में हथियार रखें। ..... 7 जनवरी को लिखे पत्र में अफसरों ने प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इस पर सांसद ने भी पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि विरोध करने वाले अपने गिरेबां में झांक कर देखें। आपको बता दें कि 25 दिसंबर को कर्नाटक के शिवमोगा में भोपाल सांसद ने कहा था- अपने घरों में हथियार रखो। 'कुछ नहीं तो कम से कम सब्जियां काटने के लिए चाकू तेज रखो।
देशभर के 103 रिटायर्ड अफसरों ने प्रज्ञा ठाकुर के इस बयान को भड़काऊ बताया है। अफसरों का कहना है कि यह बयान ‘गैर-हिंदू समुदायों के खिलाफ नफरत फैलाने’ वाला है। इसे लेकर अफसरों ने लोकसभा स्पीकर को खुला खत लिखा। इसमें लिखा है कि सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने ‘भड़काऊ भाषण देने और नफरत फैलाने’ के चलते संसद सदस्य होने का नैतिक अधिकार खो दिया है।
पत्र लिखने वालों में दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग समेत मप्र कैडर के पूर्व IAS शरद बैहर (पूर्व मुख्य सचिव मप्र), हर्ष मंदर, पूर्व ACS प्रवेश वर्मा, रश्मि शुक्ला शर्मा, एके श्रीवास्तव, पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी ए.एस. दुलत, जूलियो रिबेरो और अमिताभ माथुर तथा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी टी.के.ए. नायर और के. सुजाता राव भी शामिल हैं।
प्रज्ञा ठाकुर ने इस पर पलटवार करते हुए कहा- मैं संविधान और कानून का पालन करती हूं। जो रिटायर्ड हैं, उनको क्या जरूरत पड़ गई। वो तो बहुत कुछ जानते हैं। वर्तमान के किसी ने तो शिकायत नहीं की। क्या सिर्फ वही कानून जानते हैं। जो वर्तमान में सर्विस में हैं, वो कानून में हैं, वो क्या कानून नहीं जानते? करें शिकायत।
जनता को भी पता होगा कि क्या अच्छा है, क्या बुरा है। क्या कानूनी और क्या गैरकानूनी है। देश में तमाम विचारधाराओं के लोग रहते हैं, यदि मैंने महिलाओं, लड़कियों की सुरक्षा के लिए उनके अधिकारों को याद दिलाया, तो उनको तकलीफ नहीं होनी चाहिए। मेरी सदस्यता चली जाए, तो वो खुश हो जाएंगे। सदस्यता रहे या ना रहे, मैं परवाह नहीं करती। मेरा विरोध करने वाले अपनी गिरेबां में झांक कर देखें। मै स्वाभिमान महिलाओं की मर्यादा सम्मान के लिए खड़ी हूं और खड़ी रहूंगी। ऐसे लोगों की मुझे परवाह नहीं है। मैं पहले नेता नहीं थी, आज नेता हूं, लेकिन में पहले भी महिलाओं के अधिकार और अच्छे समाज के निर्माण के लिए तब भी खड़ी थी और अब भी खड़ी हूं।


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