महुआ आदिवासियों का, मुनाफ़ा बिचौलियों का
भोपाल ! महुए को लाभ का धंधा बनाया जा सकता हैपर प्रशासनिक अनदेखी के चलते यह बिचौलियों के मुनाफे का धंधा बनकर रह गया है।

अनुपम दाहिया
भोपाल ! महुए को लाभ का धंधा बनाया जा सकता हैपर प्रशासनिक अनदेखी के चलते यह बिचौलियों के मुनाफे का धंधा बनकर रह गया है।
इस वर्ष के लिए शासन ने महुआ फूल के संग्रहण के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 30 रुपए तय किया है। लघु वनोपजों में महुआ फूल एवं महुआ गुल्ली भी शामिल है। मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ आदेश में स्पष्ट किया गया है,कि वर्ष 2016 में महुआ फूल के संग्रहण हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य 14 रुपए प्रति किलोग्राम तथा सूखे महुए का न्यूनतम समर्थन मूल्य 20 रुपए निर्धारित किया गया था, जिसे बढ़ाकर अब 30 रुपए प्रति किलोग्राम कर दिया है।
प्रबंध संचालक, मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा यह भी निर्देश दिया गया है, कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दर पर यदि कोई क्रेता महुआ फूल का क्रय कर रहा है, तो ऐसे स्थल पर तत्काल फड़ स्थापित कर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर महुआ फूल क्रय की व्यवस्था की जाए। आदेश में बताया गया है,कि स्थानीय बाजार पर लगातार नजर रखी जाए तथा यह सुनिश्चित किया जाए,कि उपरोक्त समर्थन मूल्य से कम दर पर किसी भी संग्राहक का महुआ किसी के द्वारा न खरीदा जाए। यदि समर्थन मूल्य से कम दर पर क्रय करने की जानकारी प्राप्त होती है तो तत्काल संघ के द्वारा संग्राहकों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय करने की कार्रवाई की जाये.
लेकिन इन निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए महुआ खरीदी के लिए तैनात किए गये कर्मचारियों ने संग्राहकों को 14 से 20 रूपये किलो की दर से महुआ खरीदे जाने की जानकारी दी.इसके बाद बिचौलिये सक्रिय हो गए।
अकेले परसमनिया पहाड़ की 16 पंचायतों में सैकड़ो क्विंटल महुआ फूल इसी भाव पर खरीदकर वन विभाग के दस्तावेजों में 30 रूपये किलो की खरीदी दिखाई गई। 10 रूपये किलो अथवा उससे अधिक की अंतर की राशि वनकर्मियों और बिचौलियों के बीच बंट रही है।
ऐसे हुई दगाबाजी : जानकारों ने बताया कि महुआ खरीदी के दौरान किसानों को इस तरह बरगलाने की कोशिश की गई,कि एक तो खरीदी के समर्थन मूल्य की सही जानकारी नहीं दी गई.दूसरा पैसा कब मिलेगा,इसकी कोई गारण्टी नहीं है.इस तरह की साजिशपूर्ण अफवाहें फैलाने में गाँव-गाँव में बनाई गई वंनसमितियों की भूमिका भी संदिग्ध रही। वन समितियों के कई पदाधिकारी क्षेत्रीय वनाधिकारियों कि सलाह पर खुद ही महुआ खरीदी में जुट गए थे।
बिचौलियों का बड़ा नेटवर्क : परसमनिया पहाड़ की आने वाली 16 पंचायतों के अंतर्गत डांडी डबरा, लड़बद, पनिहाई, परसमनिया, पहाड़ी आदि ऐसे गाव है जहाँ बहुत अधिक संख्या में महुआ के पेड़ मौजूद हैं.आदिवासी महुए को अपने लिए वरदान से कम नही मानते।घर -परिवार के सभी लोग इस सीजन में बड़े सवेरे से महुए के संग्रहण में जुट जाते हैं ।
शासन द्वारा जैसे ही समर्थन मूल्य 30 रूपये किलो किया गया,वैसे ही बिचौलिए सक्रिय हो गए। वन कर्मियों का इन्हें बराबर का सहयोग मिल रहा है। ये बिचौलिये पूरे परसमनिया पहाड़ में अपने एजेंट बनाये हुए हैं। जैसे ही आदिवासी महुआ सुखाता है, ये खुद ही उसके घर पहुंच जाते हैं और तरह तरह के प्रलोभन देकर उसके मेहनत की कमाई औने-पौने दामों पर ठग लेते हैं। बिचौलियों के मुख़बिर गांव-गांव में आदिवासियों द्वारा महुआ एकत्रीकरण की पूरी जानकारी रखते हैं। ये लोग तरह-तरह की लालच देकर महुआ खरीदकर बड़े सीधे वन विभाग के कर्मचारियों को बेचते हैं, जहां पर इसे सूखा भंडारित करके तब तक रखते हैं, जब तक दाम आसमान न छूने लगे। अभी भी ऐसे कई घर हैं, जहाँ महुआ भारी मात्रा में रखा हुआ है।


