ईवीएम खरीदी में करोड़ों के घोटाले का आरोप
भोपाल ! सूचना अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग में ईबीएम खरीदी में करोड़ों का घोटाला हुआ है

भोपाल ! सूचना अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग में ईबीएम खरीदी में करोड़ों का घोटाला हुआ है इस बारे में 2011-15 नियंत्रक एवं महालेखाकार की रिपोर्ट में आपित्तयां भी दर्ज की गई हैं। उन्होंने इस मामले में राज्य निर्वाचन आयुक्त आर परशुराम को बर्खास्त करने और वर्ष 2013 में हुए ईवीएम खरीदी के मामले की जांच सी.बी.आई. से कराने की मांग की है।
श्री दुबे ने आज यहां पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि कोई भी निर्वाचन संस्था एक निष्पक्ष पारदर्शी संस्था के रूप में जानी जाती है, लेकिन हाल ही में आई कैग की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आयोग ने वर्ष 2013 में 133 करोड़ रुपए में हैदराबाद स्थित इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड जो ईवीएम खरीदी, ये ईवीएम आवश्यकता से अधिक खरीदी गईं। यह खरीदी में 29.82 करोड़ रुपये से अधिक की थी। और इन ईवीएम का समुचित उपयोग नहीं किया गया।
श्री दुबे ने स्पष्ट किया कि कैग की रिपोर्ट अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग ने 2011 में भारत सरकार के 2 उपक्रमों भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बैंगलोर (बीईएल) और इलेक्ट्रॉनिक कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड हैदराबाद से ईवीएम खरीदी हेतु दरें मंगवाकर तुलनात्मक अध्ययन किया और ईसीआईएल हैदराबाद से कम दर मिलने पर खरीदी की गई। जबकि 1 अक्टूबर 2013 को आर परशुराम द्वारा पदभार ग्रहण करने के फौरन बाद 4 अक्टूबर 2013 को ईवीएम मशीनों को खरीदने हेतु सीधे ईसीआईएल हैदराबाद से प्राक्कलन मंगवाया और बड़े पैमाने पर खरीदी की गई। आयोग ने पूर्व की तरह बीईएल बैंगलोर से तुलनात्मक अध्ययन के लिए प्राक्कलन नहीं मंगवाया। कैग के अनुसार यह सामान्य प्रशासन विभाग मप्र सरकार के नियमों और वित्तीय संहिता के नियमों का उल्लंघन है।
दुबे ने बताया कि 2013 में प्रदेश सरकार के वित्त विभाग ने ईवीएम खरीदी में मतदाताओं को पावती का प्रावधान सुनिश्चित करने को कहा था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। ये गंभीर गड़बड़ी है। ईवीएम क्रय समिति के सदस्य आई.ए.एस. अधिकारियों के सुरेश हरिरंजन राव और मनीष रस्तोगी और किरण गोपाल ने निर्वाचन आयुक्त परशुराम के साथ मिलकर नवीनतम ईवीएम पावती वाली का क्रय नहीं किया जो न केवल गंभीर गड़बड़ी है बल्कि मप्र की जनता के साथ धोखा है।
इनका कहना है
ईवीएम खरीदी में पूरी तरह पारदर्शिता बरती गई है। कैग रिपोर्ट में यदि कोई शंका व्यक्त की गई है तो उसका समाधान कर दिया जाएगा। भारत सरकार के दो उपक्रम ही ईवीएम सप्लाई करती हैं। निर्वाचन आयोग ने दोनों उपक्रमों के लिए अलग- अलग राज्य निर्धारित किया है। मध्यप्रदेश को ईसीआईएल से क्रय करना होता है, दर का निर्धारण विधि मंत्रालय करता है। जहां तक राज्य निर्वाचन कार्यालय में खरीदी का प्रश्न है इसके लिए बनाई गई क्रय समिति के अनुमोदन और ईसीआईएल से भावताव के बाद ही खरीदी गई है। इसमें कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है।
आर परशुराम, राज्य निर्वाचन आयुक्त


