भोपाल गैस त्रासदी मामलें में हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और न्यायाधीश व्ही के शुक्ला की युगलपीठ ने यह आदेश दिए है

जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने आज भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर में डॉक्टर सहित अन्य स्टॉफ के लिए केन्द्र सरकार द्वारा भर्ती नियम निर्धारित नही करने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि केन्द्र के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हुए तो उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जाएगा।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और न्यायाधीश व्ही के शुक्ला की युगलपीठ ने यह आदेश दिए है। भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उच्चतम न्यायालय ने भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनार्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी करते हुए मानीटरिंग कमेटी का गठन किया था। उच्चतम न्यायालय ने यह भी निर्देश जारी किए थे कि मॉनीटरिंग कमेटी अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करेगी। हाईकोर्ट रिपोर्ट का अवलोकन कर राज्य सरकार को आवश्यक निर्देश जारी करेगा।
राज्य सरकार द्वारा आदेश का परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका दायर की गयी थी। दायर अवमानना याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि सर्वोच्चय न्यायालय द्वारा जारी निदेर्शों का परिपालन केन्द्र राज्य सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है।
गैस त्रासदी के पीड़ित व्यक्तियों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने है। इसके अलावा अस्पतालों में अवश्यकता अनुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं है। विशेषज्ञ डॉक्टरों, तकनीकि स्टॉफ भी प्रर्याप्त संख्या में नहीं है। इसके अलावा अन्य निदेर्शों का पालन भी नहीं किया जा रहा है। मॉनिटरिंग कमेटी ने इस संबंध में कई बार अनुशंसाएं की परंतु उनका का भी पालन नहीं किया गया।
याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया था कि गैस पीडितों के लिए संचालित अस्पतालों में अस्थाई तौर पर डॉक्टरों व अन्य स्टॉफ की नियुक्यिां की जाती है। जो इस्तीफा देकर चले जाते है, जिससे स्वास्थ सेवाएं प्रभावित होती है। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बीएमएचआरआई में विशेषज्ञ डॉक्टर अन्य स्टॉफ की नियुक्तियों के लिए सर्विस कंडीशन व रूल्स बनाने तथा नियुक्ति कर रिपोर्ट में करने के निर्देश जारी किये थे।
पूर्व में हुई याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने अपने में कहा था कि अगली सुनवाई तक सर्विस रूल्स व कंडीशन का निर्धारण नहीं किया जाता है तो केन्द्रीय स्वास्थ एव परिवार कल्याण विभाग के सचिव उपस्थित रहे। याचिका पर आज हुई सुनवाई के दौरान केन्द्रीय स्वास्थ एव परिवार कल्याण की अतिरिक्त सचिव न्यायालय में उपस्थित हुए। युगलपीठ को बताया गया कि कार्यवाहक सचिस मीटिंग में गोवा में है।
केन्द्र सरकार ने सर्विस रूल्स बनाने के लिए तीन माह का समय प्रदान करने का आग्रह किया गया। जिस पर युगलपीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि फरवरी 2017 में न्यायालय ने विस्तृत आदेश जारी कर एक माह में नियम बनाने तथा तीन माह में भर्ती करते के आदेश जारी किये थे। एक वर्ष का समय गुजर जाने के बाद भी अभी तक भर्ती नियम तक नहीं बनाये गये है। युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 14 फरवरी को उक्त आदेश जारी किये है।


