भोपाल गैस त्रासदी : अब्दुल जब्बार का निधन अपने आप में त्रासदी
भोपाल गैस पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ने वाले अब्दुल जब्बार का गुरुवार देर रात निधन हो गया

भोपाल। भोपाल गैस पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ने वाले अब्दुल जब्बार का गुरुवार देर रात निधन हो गया। वह बीते कुछ दिनों से बीमार थे और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। 35 सालों से गैस त्रासदी पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ने वाले जब्बार ने खुद बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की लड़ाई लड़ते हुए दम तोड़ दिया। भोपाल गैस त्रासदी के करीब 20 हजार पीड़ितों और दुनिया के इस भीषणतम औद्योगिक हादसे से हजारों दिव्यांगों की लड़ाई लड़ रहे 62 वर्षीय जब्बार को भोपाल रेलवे स्टेशन के निकट कब्रगाह में जुमे की नमाज के बाद दफना दिया गया। उनके परिवार में तीन नाबालिग बच्चे और पत्नी सायरा बानो हैं।
करीब 35 साल पहले 27 वर्षीय जब्बार ने अपनी आंखों के सामने अपने अभिभावकों और भाई की मौत देखी थी। वह अपनी मां को गैस त्रासदी की रात शहर से 40 किलोमीटर दूर ले गए। अपने परिजनों को खोने और पड़ोसियों के हालात ने उन्हें सामाजिक कार्यकर्ता बना दिया।
जब्बार लंग फाइब्रोसिस से जूझ रहे थे और पिछले साल एक दुर्घटना में उनकी आंखों की रोशनी 50 फीसदी रह गई थी। पिछले तीन माह से उन्हें हृदय की समस्या थी और डायबिटीज के साथ पैर में गैंग्रीन हो गया था। विडंबना यह है कि एक तरफ वह गैस त्रासदी पीड़ितों की मदद कर रहे थे और वहीं उन्होंने खुद के इलाज के लिए सरकार से कोई मदद नहीं ली। उनके दोस्तों ने सोशल मीडिया के जरिए उनके लिए धन जुटाया था।
बाद में सरकार ने उनके स्वास्थ्य खर्च को उठाने का जिम्मा लिया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। गुरुवार को डाक्टर उन्हें मुंबई भेजने के लिए डाक्टरों से सलाह-मशविरा कर ही रहे थे कि उन्होंने दम तोड़ दिया।
राजधानी भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से दो दिसंबर, 1984 की रात को रिसी जहरीली मिथाइल आइसोसाएनेट गैस ने हजारों लोगों की जान ले ली थी। अब्दुल जब्बार ने इस त्रासदी में अपने माता-पिता को खो दिया था। इस गैस का उनके फेफड़ों और आंखों पर भी गंभीर असर हुआ था। वे भी बीमारियों की जद में आ गए थे, उन्हें एक आंख से कम दिखाई देता था।
गैस पीड़ितों के नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले अब्दुल जब्बार रक्तचाप और शुगर की बीमारी से पीड़ित थे। पिछले दिनों उन्हें भोपाल के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान गुरुवार की रात को उनका निधन हो गया। गुरुवार दोपहर को ही राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जब्बार के इलाज के लिए हर संभव मदद का ऐलान किया था। उन्हें मुंबई भेजे जाने की तैयारी चल रही थी, उसी बीच देर रात को उनके निधन की खबर आई।
अब्दुल जब्बार ने गैस पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ने में कसर नहीं छोड़ी। पीड़ित परिवारों की महिलाओं के लिए भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन बनाया। इसके जरिए महिलाओं को आर्थिक तौर पर सक्षम बनाने का अभियान जारी रखा।


