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भोपाल गैस पीड़ित संगठनों ने कोवैक्सीन ट्रायल पर रोक की मांग की

भोपाल के गैस पीड़ित संगठनों ने कोवैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल पर अविलंब रोक लगाने की मांग की है

भोपाल गैस पीड़ित संगठनों ने कोवैक्सीन ट्रायल पर रोक की मांग की
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भोपाल। भोपाल के गैस पीड़ित संगठनों ने कोवैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल पर अविलंब रोक लगाने की मांग की है। इन संगठनों की ओर से प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को एक चिट्ठी भेजी है, इसमें क्लीनिकल ट्रायल में शामिल लोगों की सुरक्षा और उनके हकों को नजरअंदाज करने वाले अधिकारियों और संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है। मध्यप्रदेश की राजधानी के संवाददाताओं से वर्चुअल तौर पर बातचीत करते हुए भोपाल गैस पीड़ित स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय गोल्डमैन एनवायरमेंटल अवार्ड से सम्मानित रशीदा बी का कहना है कि इस टीके को, जिसके बारे में ठीक से यह मालूम ही नहीं है कि यह कितना सुरक्षित है, के ट्रायल में शामिल 17 सौ लोगों में से 700 लोग यूनियन कार्बाइड के जहर से ग्रस्त हैं। टीका लगने के 10 दिन के अंदर एक गैस पीड़ित की मौत हो चुकी है और बहुत लोग अभी भी गंभीर तकलीफ झेल रहे हैं।

रशीदा बी का कहना है कि "12 साल पहले भोपाल मेमोरियल अस्पताल में विदेशी दवा कंपनियों के दवाओं के क्लीनिकल ट्रायल में तेरह गैस पीड़ितों की मौत के लिए आज तक किसी को भी सजा नहीं मिली है, इसलिए प्रधानमंत्री को इस उम्मीद के साथ पत्र लिखा है कि फिर से वही इतिहास दोहराया न जाए।"

भोपाल गैस पीड़ितों के संगठनों की ओर से उन्होंने यह भी मांग की गई है कि कोवैक्सीन के ट्रायल में शामिल गैस पीड़ित मृतक के परिवार को कोरोना योद्धा को दिया जाने वाला 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।

भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा का कहना है, "इस ट्रायल में ऐसे लोगों को शामिल किया गया है, जिनका स्वास्थ्य यूनियन कार्बाइड के जहर से पहले ही बिगड़ा हुआ है और उन्हें बगैर जानकारी दिए, उनकी सहमति के बगैर उन्हें इस ट्रायल में शामिल किया गया है। टीका लगवाने के बाद ट्रायल में भाग ले रहे लोगों को होने वाली तकलीफ का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जा रहा है और कई लोग जब अपनी तकलीफों के लिए अस्पताल पहुंचे तो उन्हंे उपचार देने की बजाय वापस कर दिया जाता है।"

भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा की शहजादी बी का कहना है कि इस ट्रायल को तुरंत बंद किया जाए। इसके साथ ही ट्रायल में मृत गैस पीड़ित के परिवारों को राहत राशि देने की मांग के साथ यह मांग कर रहे हैं कि ट्रायल के निष्पक्ष जांच कराई जाए। इसके साथ ही इस हादसे के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और संस्थाओं को दंडित किया जाए और टीका से, जिन्हें नुकसान पहुंचा है उन्हें मुआवजा दिया जाए।

इसी तरह डाव कार्बाइड के खिलाफ बच्चे नामक संगठन की नौशीन खान ने कहा है कि भोपाल में जारी कोवैक्सीन ट्रायल में की गई आपराधिक अनियमितताओं को नजरअंदाज करके सरकार आने वाली 16 तारीख को एक बड़े चिकित्सकीय हादसे की आशंका को मजबूत कर रही है।


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