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भोपाल की अदालत ने मानहानि मामले में दिग्विजय सिंह के खिलाफ आरोप तय किए

भोपाल की एक जिला अदालत ने गुरुवार को राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि के एक मामले में आरोप तय किए

भोपाल की अदालत ने मानहानि मामले में दिग्विजय सिंह के खिलाफ आरोप तय किए
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भोपाल।| भोपाल की एक जिला अदालत ने गुरुवार को राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि के एक मामले में आरोप तय किए। सांसदों, विधायकों के मामलों से निपटने वाली विशेष अदालत ने भाजपा नेता वी.डी. शर्मा द्वारा उनके खिलाफ सात साल पहले दायर मानहानि के मामले में मध्य प्रदेश के दो बार के पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ आईपीसी की धारा 500 के तहत आरोप तय किए। जुलाई 2014 में वी.डी. शर्मा, जो उस समय भाजपा की छात्र शाखा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के महासचिव थे, ने अदालत को बताया था कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने उन पर 2013 में प्रकाश में आए बहुस्तरीय व्यापम मामले में शामिल होने का आरोप लगाया था।

रिपोटरें के अनुसार, शर्मा ने तब अदालत को बताया था कि सिंह ने उन पर व्यापम मामले में बिचौलिया होने का आरोप लगाया था, जो लोगों के बीच उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास था।

भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि के लिए सजा) के तहत अधिकतम दो साल के साधारण कारावास या जुमार्ना, या दोनों का प्रावधान है। अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए एक जुलाई की तारीख मुकर्रर की है।

शर्मा अब राज्य भाजपा अध्यक्ष हैं, जिन्होंने 2018 में भाजपा के विधानसभा चुनाव हारने के बाद फरवरी 2020 में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह से पदभार संभाला था। उनका दो साल का कार्यकाल अब समाप्त हो गया है, हालांकि उनके आगे भी पद पर बने रहने की संभावना है। केंद्रीय नेतृत्व ने अभी तक इस संबंध में कोई घोषणा नहीं की है।

व्यापम घोटाला तत्कालीन मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम), एक पेशेवर परीक्षा बोर्ड द्वारा संचालित सरकारी कॉलेजों और नौकरियों के लिए चयन प्रक्रिया में कथित हेरफेर से संबंधित है।

पिछले महीने, गुजरात के सूरत जिले की एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 (आपराधिक मानहानि से निपटने) के तहत मोदी उपनाम पर टिप्पणी पर भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर एक मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई थी।

फैसले के बाद, 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए चुने गए राहुल गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था।


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