भीम आर्मी प्रमुख चन्द्रशेखर पर रासुका दलित दमन का प्रतीक : दारापुरी
पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एवं सदस्य स्वराज अभियान समिति, उत्तर प्रदेशके सदस्य एस.आर. दारापुरी ने कहा है कि “भीम आर्मी प्रमुख चन्द्रशेखर पर रासुका दलित दमन का प्रतीक” है

लखनऊ। पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एवं सदस्य स्वराज अभियान समिति, उत्तर प्रदेशके सदस्य एस.आर. दारापुरी ने कहा है कि “भीम आर्मी प्रमुख चन्द्रशेखर पर रासुका दलित दमन का प्रतीक” है।
आज यहाँ जारी बयान में उन्होंने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि चंद्रशेखर को एक दिन पहले ही इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिली थी, जिसमे न्यायालय ने माना था कि उसके ऊपर लगाये गये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। इस कार्रवाई से स्पष्ट है कियोगी सरकार किसी भी हालत में चन्द्रशेखर को जेल से बाहर नहीं आने देना चाहती, क्योंकि उसे डर है कि उसके बाहर आने से दलित वर्ग के लामबंद हो जाने की सम्भावना है।इसे रोकने तथा भीम आर्मी को ख़त्म करने के इरादे से सरकार ने चन्द्रशेखर पर रासुका लगा कर तानाशाही का परिचय दिया है। इसी ध्येय से सरकार ने भीम आर्मी के लगभग 40 सदस्यों पर मुक़दमे लाददिए हैं, जिनमें अधिकतर छात्र हैं जिनका भविष्य अधर में लटक गया है।
श्री दारापुरी ने कहा कि दरअसल सहारनपुर के शब्बीरपुर के दलित अब तक दोहरे दलित उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं। एक तो ठाकुरों द्वारा उनके घर जलाये गये और चोटें पहुंचाई गयीं, दूसरे उन्हें ही ठाकुरों पर हमले के आरोपी बना कर जेल मेंडाला गया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में शब्बीरपुर के 9 दलित जेल में हैं और उनमे से 2 पर रासुका भी लगाया गया है। दलितों को अब तक मिला मुआवज़ा नुकसान के मुकाबले बहुत कम है।दलितों द्वारा ठाकुरों के हमले से बचने के लिए की गयी आत्मरक्षा की कार्रवाही को भी ठाकुरों पर हमला मान कर केस दर्ज कर गिरफ्तारियां की गयी हैं। इस प्रकार सहारनपुर के दलित दोहरे उत्पीडन का शिकार हुए हैं।
उन्होंने कहा कि शब्बीरपुर के दलितों पर ठाकुरों द्वारे हमले तथा पुलिस द्वारा भीम आर्मी का दमन एवं चन्द्र शेखर पर रासुका योगी सरकार के दलित दमन का प्रतीक है जिसका सभी दलित संगठनों एवं जनवादी ताकतों द्वारा मज़बूती से विरोध किया जाना चाहिए.


