भिलाईनगर : सिलेन्डर फटने से एक की मौत,3 झुलसे
भिलाईनगर ! लाल बहादुर शास्त्री हॉस्पिटल के पीछे कांट्रेक्टर कालोनी में आज दोपहर सिलेंडर फटने से दो बच्चों सहित एक व्यक्ति झुलस गए।

भिलाईनगर ! लाल बहादुर शास्त्री हॉस्पिटल के पीछे कांट्रेक्टर कालोनी में आज दोपहर सिलेंडर फटने से दो बच्चों सहित एक व्यक्ति झुलस गए। घटना सोमवार को सुबह करीब 11.45 बजे की है। घटना की सूचना मिलते ही सुपेला थाना से पुलिस व बीएसपी से दमकल वाहन मौके पर पहुंचे। घर में लगी आग पर किसी तरह काबू पाया। सिलेंडर फटने से झुलसे तीन में से एक की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है। वहीं आशंका जताई जा रही है कि जिस घर में यह हादसा हुआ, उस घर का मालिक कारपेंटरी का काम करता था। फर्नीचर पालिस उपयोग के लिए उन्होंने अपने घर में ज्वलनशील पदार्थ थीनर भी रखा हुआ था। विस्फोट संभवत: थीनर के डिब्बे से होने की आशंका जताई जा रही है। सुपेला टीआई दिलीप सिंह सिसोदिया ने बताया कि घटना की जांच के लिए घटनास्थल का फोरेंंसिक विशेषज्ञ द्वारा जांच किए जाने के बाद ही इसका खुलासा हो सकेगा। विस्फोट इतना जबर्दस्त था कि घर मालिक सेवाराम निषाद की इलाज के दौरान मौत हो गई।
इधर गंभीर रूप से झुलसे सेवक राम निषाद उनकी बेटी डॉली व पड़ोस में रहने वाले ईशू को एंबुलेंस से पहले लाल बहादुर शास्त्री हॉस्पिटल लेकर गए। प्राथमिक उपचार के बाद उनको जिला हॉस्पिटल दुर्ग के लिए रेफर कर दिया गया है। सेवक राम निषाद की पत्नी चंद्रिका निषाद ने बताया कि जिस समय घटना हुई, उस समय वह घर पर नहीं थी। खंडेलवाल दुकान में काम करने गई थी।
पड़ोसियों की सूचना पर घर पहुंची पत्नी
हादसे के शिकार हुए सेवक राम की पत्नी ने बताया कि मोहल्ले के लोगों ने घटना की सूचना दी और साथ में लेकर घर आए। घटना किस तरह से हुई उसके संबंध में उसे भी पूरी जानकारी नहीं है। घर में पति, बेटी डॉली व पड़ोस का बच्चा ईशू था। इसके अलावा दूसरे कमरे में ससुर थे। जेठानी के घर के सिलेंडर को चाय बनाने के लिए शायद जलाने कोशिश किए, इस बीच ही धमाका हुआ है। जिससे तीनों बुरी तरह झुलस गए हैं।
ढह गई दीवार
धमाके का अंदाज इससे से ही लगाया जा सकता है कि घर के सामने की पक्की दीवार ढह गई। घर में रखे सामान अस्त-व्यस्त हो गए। कमरे में रखे कपड़े और अन्य सामान आगे लगने से जल गए। वहीं लोहे की कुर्सियां भी जलकर मोल्ड हो गई। गरीबी में पाई-पाई जोडक़र बनाया आशियान एक पल में आंखों के सामने ढह गया है।
लिया था नया सिलेंडर
चंद्रिका ने बताया कि एक माह पहले आकाश गंगा से नया सिलेंडर लिया था। जिसे अब तक शुरू नहीं किया। जगह नहीं होने की वजह से वह लकड़ी जलाकर ही खाना बनाती है। जल्द ही नए चूल्हे व सिलेंडर को शुरू करने वाली थी। चंद्रिका ने बताया कि पति काम करने कहीं नहीं जाते हैं, वे एक वर्ष से बीमार हैं। अभी एक माह से ही पति की तबीयत में कुछ सुधार हुआ है और इसी बीच ये हादसा हो गया।


