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रेणुका सिंह के मैदान में आने से भरतपुर-सोनहत सीट हुई वीआईपी

सियासत में कई बार राजनेता की हैसियत विधानसभा और लोकसभा क्षेत्र को महत्वपूर्ण बना देती है। ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ के भरतपुर-सोनहत विधानसभा क्षेत्र के साथ है।

रेणुका सिंह के मैदान में आने से भरतपुर-सोनहत सीट हुई वीआईपी
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अंबिकापुर । सियासत में कई बार राजनेता की हैसियत विधानसभा और लोकसभा क्षेत्र को महत्वपूर्ण बना देती है। ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ के भरतपुर-सोनहत विधानसभा क्षेत्र के साथ है। यहां से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह को उम्मीदवार बनाया है जिसके चलते इस विधानसभा क्षेत्र को हाई प्रोफाइल सीट के तौर पर गिना जाने लगा है।

छत्तीसगढ़ में दो चरणों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यहां सात और 17 नवंबर को मतदान होना है। राज्य की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक भरतपुर-सोनहत है। यहां भाजपा की रेणुका सिंह का मुकाबला कांग्रेस विधायक गुलाब कमरों से है। कमरों को कांग्रेस ने दूसरी बार उम्मीदवार बनाया है।

भरतपुर-सोनहत विधानसभा क्षेत्र में सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है। गाोंडवाणा गणतंत्र पार्टी इसे त्रिकोणीय बना सकती है। यह विधानसभा क्षेत्र महेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र से अलग होकर 2003 में अस्तित्व में आया था और यहां अब तक तीन विधानसभा चुनाव हुए हैं जिनमें दो बार भाजपा और एक बार कांग्रेस को जीत मिली है।

इसके साथ ही इस विधानसभा क्षेत्र में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का भी प्रभाव है और इसे हम पिछले चुनाव से समझ सकते हैं। 2008 की विधानसभा चुनाव में गोंगपा को 9000 से ज्यादा वोट मिले थे। 2013 के चुनाव में 18,000 से ज्यादा वोट मिले थे और 2018 के चुनाव में 26,000 से ज्यादा वोट मिले।

इस तरह यहां गोंगपा मुकाबले को त्रिकोणीय भी बना सकती है। गोंड जाति के मतदाता यहां का समीकरण बदलने में सक्षम हैं। यही कारण है कि कांग्रेस और भाजपा इस वोट बैंक पर नजर गड़ाए हुए है और सेंधमारी करना चाहते हैं।

भरतपुर-सोनहत विधानसभा क्षेत्र से रेणुका सिंह के चुनाव लड़ने से सभी की नजर यहां की हार और जीत पर है। कांग्रेस की ओर से इस चुनाव को स्थानीय बनाम बाहरी बनाने की कोशिश हो रही है और कांग्रेस के उम्मीदवार बीजेपी उम्मीदवार को बाहरी बताने में जुटे हुए हैं। वहीं रेणुका सिंह विकास के दावे के साथ चुनाव लड़ रही हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रेणुका सिंह के मैदान में उतरने से राज्य की भाजपा की सियासत में नई बहस को जन्म दे दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा के बहुमत में आने पर उनके मुख्यमंत्री पद के दावेदार होने की चर्चा है।


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