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भलस्वा, ओखला के कूड़े के ढेर की ग्रेडिंग के बाद होगी हरियाली

भलस्वा और ओखला लैंडफिल साइट के कूड़े के ढेर को इंजीनियरिंग तरीके से इसके ढलानों की ग्रेडिंग के बाद उस पर हरियाली का काम किया जाएगा

भलस्वा, ओखला के कूड़े के ढेर की ग्रेडिंग के बाद होगी हरियाली
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नई दिल्ली। भलस्वा और ओखला लैंडफिल साइट के कूड़े के ढेर को इंजीनियरिंग तरीके से इसके ढलानों की ग्रेडिंग के बाद उस पर हरियाली का काम किया जाएगा। तीनों स्थानों का काम दीर्घगामी परिणामों को देखते हुए विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में होगा। इस विषय पर दिल्ली आईआईटी के विशेषज्ञ प्रो. मनोज दत्ता के मुताबिक लैंडफिल साइट की स्थिरता के प्रमुख कारण बारिश, भूकम्प, पानी, गैस और खड़ी ढलान होती है। स्थिरता में सुधार के उपायों के बारे में उन्होने बताया ढ़लान को सपाट किया जाए, ढ़लान को नीचे की ओर से मजबूत बनाया जाए और पानी व गैस को निकालना जरूरी है।

राजनिवास में कूड़े पर उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा आईआईटी विशेषज्ञों की समीक्षा बैठक में उन्होने बताया कि गोराई, बापी और हैदराबाद जैसे स्थानों की केस स्टडी में कई पहलू सामने आए हैं। उत्सर्जन नियंत्रण और आग से बचाव की आवश्यकता के मुद्दों पर भी विचार विमर्श किया गया। उपराज्यपाल को यह बताया गया कि लैच और गैस को नाले और दीवार से निकालने के अतिरिक्त एक पांच परतीय कवर भी बनाया जा सकता है। ज्वलनशील मिथेन एकत्रित करने और बढ़ने से आग का सफाया किया जा सकता है। लैंडफिल साइटों के सौन्दर्यीकरण के बारे में बताया गया कि इन स्लोपों को रिग्रेड करके इन पर वनस्पति उगाई जा सकती हैं। पता चला कि इन सभी उपायों को लागू करने में जो बहुत मंहगे हैं स्थान की स्थिति और सफाई के आधार पर नौ से 18 माह का समय लग सकता है।

उपराज्यपाल ने कूड़े के तीनों ढेरों के समाधान के साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन, विशेषज्ञ और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचार विमर्श किया। गाजीपुर के कूड़े के ढेर के बारे में बताया गया कि एनएचएआई कूड़े को अलग करने और उसके उपयोग का काम नवम्बर माह के मध्य से चालू कर देगा जिसका उपयोग सड़क निर्माण में किया जाएगा। दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने सिल्ट के बेहतर निष्पादन के संबंध में उपराज्यपाल को बताया कि सिल्ट को जियो ट्यूब में एकत्रित किया जाएगा और मुख्य नालों के किनारों पर उसमें से पानी निकाला जाएगा। उपराज्यपाल ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी को निर्देश दिए कि इसके लिए वह नीरी संस्था और अन्य विशेषज्ञों के साथ सलाह कर प्रस्ताव के साथ आएं। दिल्ली में दैनिक कचरे को देखते हुए उपराज्यपाल ने फिर दोहराया कि गाजीपुर, ओखला और नरेला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट अपनी पूरी उपलब्ध क्षमता के साथ काम करें।

मार्च 2018 तक सीवर सफाई का काम सिर्फ मशीनों से होगा: बैजल

सीवर सफाई करते हुए हाल ही में हुई दुर्भाग्यपूर्ण मौतों के मुद्दे पर दूसरी समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, लोक निर्माण विभाग मंत्री सत्येंद्र जैन की मौजूदगी में उपराज्यपाल अनिल बैजल ने कहा कि आपातकालीन स्थिति में मैन्यूल सफाई के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया बनाई जाए और सीवरों की सफाई के लिए पूर्ण रूप से मशीनीकरण द्वारा ही हो। बैठक में यह तय हुआ कि प्रत्येक डिवीजन के लिए एक रिसाइकलर उपलब्ध होगा और आठ मौजूदा रिसाइकलरों के अलावा और आठ और खरीदे जाएंगे। साथ ही हर वार्ड में छोटे डिसिल्टिंग मशीन उलब्ध कराई जाएंगी व 200 अतिरिक्त डिसिल्टिंग मशीने खरीदनें की योजना भी प्रस्तावित है।

उपराज्यपाल ने निर्देश दिया कि मार्च 2018 तक सीवर सफाई का कार्य पूर्ण रूप से मशीनीकरण द्वारा हो। मैन्यूल सीवर सफाई के दौरान होने वाले हानिकारक प्रभावों को सघन रूप से प्रचार किया जाए। उपराज्यपाल ने इस बात पर भी बल दिया कि ठेकेदारों से अनुंबंध के समझौते के दौरान यह साफ होना चाहिए कि दिल्ली जल बोर्ड द्वारा तय मानक संचालन प्रक्रिया का पालन न करने की स्थिति में उनके लिए कठोर दंड का प्रावधान होगा।


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