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आरक्षण पर भागवत का बयान संविधान की आत्मा पर हमला है : कांग्रेस

आरक्षण पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत का बयान आने के अगले दिन गुरुवार को कांग्रेस ने कहा कि यह संविधान की आत्मा पर सीधा हमला है

आरक्षण पर भागवत का बयान संविधान की आत्मा पर हमला है : कांग्रेस
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नई दिल्ली। आरक्षण पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत का बयान आने के अगले दिन गुरुवार को कांग्रेस ने कहा कि यह संविधान की आत्मा पर सीधा हमला है। संविधान में आरक्षण का बहुत स्पष्ट स्थान है।

यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, "यह बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा लिखे गए संविधान की आत्मा पर हमला है, जिसमें आरक्षण का बहुत स्पष्ट स्थान है। जब इसे चुनौती दी गई और उन्हें बताया गया, तब उन्हें यह सफाई देने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन उनके दिमाग में एक साजिश चल रही है और यह साजिश आज से नहीं चल रही है। यह साजिश तब से चल रही है, जब संविधान लिखा जा रहा था।"

महाराष्ट्र के नागपुर में बुधवार को भागवत ने कहा था कि जब तक समाज में भेदभाव मौजूद है, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।

खेड़ा ने कहा, ''ये सभी चीजें उन्होंने इस सप्ताह शुरू कीं। यह संविधान की वास्तुकला पर हमला है, यह सीधे तौर पर आरक्षण पर हमला है। पूरा देश समझ रहा है कि वे क्या कहना चाह रहे हैं।''

उन्होंने कहा, "आपको और हमें ये नहीं बताना पड़ेगा कि ये 'भारत' और 'इंडिया' का विवाद क्यों खड़ा हुआ, क्यों सरकार के बुद्धिजीवियों द्वारा आर्टिकल लिखे जा रहे हैं कि संविधान दोबारा लिखा जाना चाहिए, क्यों संविधान के मूल ढांचे पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।''

कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य ने यह भी कहा, ''सबसे पहले, वह यह बताए कि वे कौन हैं, उन्हें हर जगह यह बात क्यों कहनी पड़ती है?''

कांग्रेस नेता ने कहा, "पहले उन्हें अपने संगठन को पंजीकृत करना चाहिए। यह क्या है 'एक खरीदें, एक मुफ्त पाएं'? भाजपा को वोट दें, आपको संघ मुफ्त में मिलेगा। ऐसा क्यों है?"

खेड़ा ने आरएसएस पर निशाना साधते हुए आगे कहा, "एम.एस. गोलवलकर की भारत के विभाजन में क्या भूमिका थी? इस पर हम भागवत को आमंत्रित करते हैं कि वे आएं और बहस करें या भारत के विभाजन में उनके वैचारिक पूर्वज बी.एस. मुंजे की भूमिका पर चर्चा करें। उनके वैचारिक और राजनीतिक पूर्वजों, हिंदू महासभा की क्या भूमिका थी?”

उन्होंने कहा कि 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के बाद वे जब सरकारों का हिस्सा बने तो उनकी क्या भूमिका थी, देश को बताना चाहिए।

खेड़ा ने कहा, "आज भारत में 15-16 फीसदी जो मुसलमान हैं, उन्हें आप बर्दाश्त नहीं कर सकते, अखंड भारत में वे 45 फीसदी होंगे। तब आप क्या करेंगे? तो बिना सोचे-समझे बोलने की यह उनकी पुरानी आदत है। अखंड भारत पर राम माधव कुछ और कहते हैं, इन दिनों तो अखंड भारत के मुद्दे पर आरएसएस ही बंटा हुआ है। आरएसएस में भी अलग-अलग विचार हैं। आप खुद एकजुट नहीं हैं, भारत को क्‍या एकजुट रखेंगे।"

उन्होंने कहा, "आरएसएस विचारों के लिए नहीं, बल्कि प्रचार के लिए जाना जाता है।"

खेड़ा आरक्षण पर भागवत के बयान के संबंध में एक सवाल का जवाब दे रहे थे।


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