मैथलीशरण गुप्त की जयंती पर मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कल तीन अगस्त को राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर जनता को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी है
रायपुर। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कल तीन अगस्त को राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर जनता को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी है। डॉ. सिंह ने उनकी जयंती की पूर्व संध्या पर आज यहां जारी शुभकामना संदेश में कहा है कि स्वर्गीय श्री गुप्त भारतीय साहित्य जगत के अनमोल रत्न थे।
पद्मविभूषण और पद्मभूषण के राष्ट्रीय अलंकरणों से सम्मानित राष्ट्र कवि श्री गुप्त ने वर्ष 1914 में स्वतंत्रता आंदोलन के दिनों में राष्ट्रीयता की भावनाओं से परिपूर्ण 'भारत भारती' जैसे काव्य ग्रंथ की रचना की और जनता में राष्ट्रीय चेतना जाग्रत करने का सार्थक प्रयास किया। अपने साहित्यिक जीवन में उन्होंने दो महाकाव्यों सहित 19 खंड काव्यों की रचना की और सैकड़ों कविताओं सहित कई ऐतिहासिक नाटक भी लिखे।
मुख्यमंत्री ने कहा - स्वर्गीय श्री मैथिलीशरण गुप्त ने महाकाव्य 'साकेत', और 'यशोधराÓ, 'जयद्रथ वध' तथा 'पंचवटीÓ जैसे अनेक काव्यग्रंथों की रचना की। इन कालजयी रचनाओं सेे उन्हें हिन्दी साहित्य जगत में और पूरे देश में अपार लोकप्रियता मिली। स्वर्गीय श्री मैथिलीशरण गुप्त वर्ष 1952 से 1964 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। भारत सरकार ने वर्ष 1953 में उन्हें पद्म विभूषण और 1954 में पद्मभूषण के राष्ट्रीय अलंकरणों से सम्मानित किया था। मुख्यमंत्री ने राष्ट्र कवि की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है।
उल्लेखनीय है कि श्री मैथिलीशरण गुप्त का जन्म तीन अगस्त 1886 को झांसी (उत्तर प्रदेश) के पास चिरगांव में हुआ था। उन्होंने अपने घर पर ही संस्कृत, हिन्दी और बंगला साहित्य का अध्ययन किया। स्वर्गीय श्री गुप्त ने मात्र बारह वर्ष की अल्प आयु में ब्रजभाषा में कविता लिखना शुरू किया था। बाद के वर्षों में उन्होंने खड़ी बोली में लिखना प्रारंभ किया।
स्वर्गीय श्री गुप्त की रचनाएं आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रसिद्ध पत्रिका 'सरस्वती' में छपने लगी। स्वर्गीय श्री गुप्त ने बंगला भाषा के काव्य ग्रंथ 'मेघनाथ वध' और 'ब्रजांगना' और महाकवि भास के संस्कृत नाटक 'स्वप्नवासवदत्ता' का हिन्दी अनुवाद भी किया था। इसके अलावा उन्होंने पांच मौलिक नाटक भी लिखे, जिनमें तिलोत्तमा, अनघ, चन्द्रहास, निष्क्रिय प्रतिरोध और विसर्जन शामिल हैं।
स्वतंत्रता आंदोलन में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। वर्ष 1941 में आजादी की लड़ाई में सत्याग्रह आंदोलन करने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया था। आगरा विश्वविद्यालय ने उन्हें डी. लिट की उपाधि से सम्मानित किया था। राष्ट्र कवि श्री गुप्त का निधन 12 दिसम्बर 1964 को हुआ।


