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पूजो’ के मूड में नजर आने लगा बंगाल

शक्ति एवं साधना का पर्व तथा बंगाली संस्कृति की परिचायक दुर्गा पूजा को अब छह सप्ताह शेष रह गये हैं और पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता समेत पूरे राज्य में लोग अब ‘पूजो’ के मूड में नजर आने लगे हैं । 

पूजो’ के मूड में नजर आने लगा बंगाल
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कोलकाता । शक्ति एवं साधना का पर्व तथा बंगाली संस्कृति की परिचायक दुर्गा पूजा को अब छह सप्ताह शेष रह गये हैं और पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता समेत पूरे राज्य में लोग अब ‘पूजो’ के मूड में नजर आने लगे हैं ।

बंगाली घरों में यह एक परंपरा है कि दुर्गापूजा के चार दिनों के दौरान हर रोज नया पोशाक पहनना चाहिए और इसी परंपरा के तहत नये कपड़ों के अलावा आभूषणों तथा सौंदर्य प्रसाधनों की खरीदारी और आदान-प्रदान की शुरुआत हो चुकी है।

दुर्गापूजा के चार दिन कोलकाता की सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है। बंगाली समुदाय को दुर्गापूजा के आनंदोत्सव के लिए अब चार अक्टूबर का इंतजार है।

कोलकाता में बहुत से बड़े क्लबों एवं दुर्गा पूजा समितियों ने अपने आयोजनों में कलाकारों के बुलावे की घोषणा के साथ ही खुटी पूजा का आयोजन भी किया है।

दुर्गापूजा का उत्साह शरद ऋतु के आगमन से पहले ही शुरू हो जाता है। दुर्गापूजा की उल्टी गिनती शुरू होने के साथ ही कोलकाता और आसपास के विभिन्न शहरों, इलाकों में पूजा पंडाल बनाने के काम में तेजी आ गयी है। कारीगरों और शिल्पकारों ने हजारों की संख्या में पंडालों को खड़ा करने तथा दुर्गा प्रतिमाओं को विभिन्न आयामों में गढ़ने का काम शुरू कर दिया है। ऐतिहासिक स्थलों अथवा तात्कालिक घटनाक्रमों को प्रदर्शित करते हजारों की संख्या में पंडाल और झांकिया दर्शनार्थियों को मंत्रमुग्ध कर देती है। बाहर से आए लोग लोग अक्सर समझ भी नहीं पाते हैं कि ये कोई स्थायी स्थल नहीं है बल्कि शिल्प की संरचना है।

पूजा समितियों की ओर से पंडालों और प्रतिमाओं की प्रतिकृति के जरिए हर वर्ष अनूठे विषयों पर अपनी रचनात्मकता का परिचय देते हैं। इसके अलावा लोकप्रियता और लोगों को आकर्षित करने की होड़ प्रत्येक साल सजावट के कामों में नये-नये थीम का प्रयोग किया जाता है।

माना जा रहा है कि इस साल संतोष मित्र स्कवायर दुर्गा पूजा समिति का आयोजन संबसे महंगे आयोजनों में से होगा। यहां जयपुर स्थित विश्वविख्यात शीशमहल की प्रतिक्रृति को प्रदर्शित करता पंडाल बनाया जा रहा है और इस पंडाल में करीब 10 फुट ऊंची सोने से बनी देवी दुर्गा की प्रतिमा रखी जायेगी। समिति के एक सदस्य का दावा है कि यहां का दुर्गापूजा शहर के सभी बड़े बजट वाले आयोजनों में सबसे महंगा होगा। सोने से बनने वाली प्रतिमा की लागत 18 करोड़ आंकी गयी है जबकि पंडाल की सजावट पर भी एक करोड़ रूपये से अधिक का खर्च आयेगा। सबसे लंबे क्राफ्ट तैयार करने के बाद प्रसिद्ध हुए कुमारतुली के शिल्पकार मिंटू पाल को दुर्गा की स्वर्ण प्रतिमा बनाने का काम सौंपा गया है।

इसके अलावा ठाकुरपुर एसबी पार्क , बेहाला नाटिन संघ , यूथ एसोसिएशन ऑफ मोहम्मद अली पार्क जैसे पुराने और प्रसिद्ध पूजा समितियों की ओर से दुर्गा पूजा के आयोजन की तैयारियां जोर-शोर की जा रही है।


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