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बंगाल के मंत्री ने मामला सुप्रीम कोर्ट में होने पर भी बकाया डीए के भुगतान का भरोसा दिया

राज्य सरकार के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता (डीए) के बकाये का भुगतान तीन महीने के भीतर करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश को पश्चिम बंगाल सरकार ने एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी

बंगाल के मंत्री ने मामला सुप्रीम कोर्ट में होने पर भी बकाया डीए के भुगतान का भरोसा दिया
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कोलकाता। राज्य सरकार के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता (डीए) के बकाये का भुगतान तीन महीने के भीतर करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश को पश्चिम बंगाल सरकार ने एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी, लेकिन राज्य मंत्रिमंडल के एक वरिष्ठ सदस्य ने शनिवार को सही समय पर भुगतान का भरोसा देकर प्रभावित कर्मचारियों को शांत करने का प्रयास किया। भुगतान की दी गई समय सीमा हालांकि पहले ही खत्म हो चुकी है। राज्य के संसदीय मामलों और कृषि मंत्री सोभनदेब चट्टोपाध्याय ने विधानसभा के पटल पर कहा, "मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कभी नहीं कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को बकाये डीए का भुगतान नहीं किया जाएगा। भुगतान सही समय पर किया जाएगा। मुख्यमंत्री राज्य के पिछड़े लोगों की जीवन स्थिति में सुधार करने की पूरी कोशिश कर रही हैं, जिसके लिए उन्होंने विभिन्न परियोजनाओं की शुरुआत की है। यही कारण है कि बकाया डीए के भुगतान की प्रक्रिया में देरी हो रही है।"

उनका यह बयान राज्य सरकार के इस मामले में शीर्ष अदालत जाने के ठीक एक दिन बाद आया है।

राज्य सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक हलफनामा भी दाखिल किया है, जिसमें कहा गया है कि अदालत के निर्देश के अनुसार अभी बकाये डीए का भुगतान करने से वित्तीय आपदा हो सकती है।

चट्टोपाध्याय ने शनिवार को यह भी कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारी बकाया डीए का भुगतान नहीं होने के बावजूद अपने परिवार के लिए दिन में दो बार भोजन जुटा सकते हैं।

चट्टोपाध्याय ने कहा, "मुख्यमंत्री की विकास परियोजनाओं का उद्देश्य उन लोगों की मदद करना है जो एक दिन में दो वक्त का भोजन नहीं कर सकते। यहां तक कि नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने भी गरीबों को सीधे नकद हस्तांतरण किए जाने की सिफारिश की थी और हमारे मुख्यमंत्री ठीक वैसा ही करने की कोशिश कर रही हैं, इसलिए बकाया डीए के भुगतान में देरी हो रही है।

वयोवृद्ध कांग्रेस नेता प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि यह अच्छा है कि कम से कम राज्य सरकार ने यह स्वीकार कर लिया कि सरकारी खजाने की हालत खराब है।

भट्टाचार्य ने सवाल किया, ऐसे में दुर्गा पूजा समितियों को बड़ी रकम देने का क्या औचित्य है।


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