बेमेतरा : पौधों के लिए वरदान, सूक्ष्म जीव, ट्राइकोडर्मा, शूडोमोनस
कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र ढोलिया में अभी तक किसानों के उपयोग के लिए किसी तरह का जैविक उत्पाद का उत्पादन नहीं किया

बेमेतरा। कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र ढोलिया में अभी तक किसानों के उपयोग के लिए किसी तरह का जैविक उत्पाद का उत्पादन नहीं किया जा रहा था।
वर्तमान में डॉ. के.पी. वर्मा प्रमुख वैज्ञानिक जो रायपुर में बायोकंट्रोल प्रयोगशाला का संचालन कर रहे थे, जिसे अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र में पदस्थ किये गए है।
जिन्होंने लाभकारी फफूांद ट्राइकोडर्मा एवं शूडोमोनस जीवाणु के उत्पादन के लिए पहल करते हुए डॉ. भारती बघेल वैज्ञानिक कीटशास्त्र को प्रभारी बनाकर उक्त सुक्ष्म जीवाणुओं का उत्पादन के लिए एक छोटी सी प्रयोगशाला के स्थापना कर सरलतम विधि का उपयोग करते हुए प्रारंभ करवाया है।
ये सूक्ष्म जीव मुख्य रूप से चार काम करता है। फसल को मृदा जनित बीमारियों से रक्षा करता है। पौधों के ग्रोथ को बढ़ाने में मदद् करता है, पौधों में रोग प्रतिरोधी क्षमता में वृद्धि करता है जो कृषि अवशेष व घुरवा को सड़ाकर खाद बनाने में सक्षम है।
अन्य जिलों के कृषकों को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अनुमोदित दर पर हमेशा उपलब्ध रहेगा। जिन कृषकों को इसकी ज्यादा मात्रा में आवष्यकता होगी, वे एक सप्ताह पहले आवश्यकतानुसार आदेश देकर प्राप्त कर सकते हैं।
सामान्य रूप में कृषकों के लिए कम मात्रा में हमेंशा उपलब्ध रहेगा। इस कार्य में महाविद्यालय के समस्त वैज्ञानिक सम्मिलित हैं।


