Top
Begin typing your search above and press return to search.

बेगूसराय : चुनाव को कन्हैया ने बनाया रोचक

राजनीति विज्ञान में पीएचडी की डिग्री हासिल कर चुके गरीब घर के कन्हैया का मुख्य मुकाबला भाजपा के बड़े नेता व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से है। मैदान में हालांकि महागठबंधन के उम्मीदवार तनवीर हसन भी है

बेगूसराय : चुनाव को कन्हैया ने बनाया रोचक
X

बेगूसराय (बिहार), 28 अप्रैल। बिहार का 'लेनिनग्राद' व 'लिटिल मास्को' माना जाने वाला बेगूसराय इस बार के लोकसभा चुनाव में देश के 'हॉट' सीटों में शुमार हो गया है। इसकी वजह है जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व नेता कन्हैया कुमार का चुनाव मैदान में उतरना। 'देशद्रोह' के आरोपी के रूप में प्रचारित युवक को लोग कौतूहल भरी नजरों से चुनाव लड़ते देख रहे हैं।

राजनीति विज्ञान में पीएचडी की डिग्री हासिल कर चुके गरीब घर के कन्हैया का मुख्य मुकाबला भाजपा के बड़े नेता व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से है। मैदान में हालांकि महागठबंधन के उम्मीदवार तनवीर हसन भी हैं।

इस चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने वामपंथी दलों के साझा उम्मीदवार के तौर पर कन्हैया कुमार को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 'मोदी विरोधियों को पाकिस्तान भेजने की धमकी' देने वाले और सोनिया गांधी को 'पूतना' कहने वाले अपने शीर्ष नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर अपना दांव खेला है तो राजद ने अपने पुराने उम्मीदवार तनवीर हसन को फिर एक बार इस हॉट सीट पर उतारा है।

यहां के चुनाव को जातीय समीकरण की नजर से देखने वालों के लिए यह भूमिहार बहुल क्षेत्र है, जहां गिरिराज और कन्हैया भूमिहार जाति से आते हैं, वहीं तनवीर मुस्लिम वोट बैंक के जरिए इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं।

जेएनयू की एक घटना के बाद 'देशद्रोह' के आरोपी कन्हैया के सामने भाजपा ने अपनी सीट को बरकरार रखने के लिए कट्टर हिंदुत्व के चेहरा गिरिराज को उतारकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है। कहा जाता है कि कन्हैया के सामने गिरिराज को भाजपा ने इसी कारण चुनाव मैदान में उतारा है, क्योंकि सिंह फिर नवादा से टिकट चाह रहे थे। नवादा सीट इस बार लोजपा के खाते में चला गया है।

पिछले लोकसभा चुनाव में राजद के प्रत्याशी हसन ने यहां भाजपा को जबरदस्त टक्कर दी थी, लेकिन भाजपा के भोला सिंह से वह 58,000 से ज्यादा मतों से हार गए थे। उस चुनाव में भाकपा के राजेंद्र प्रसाद सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। भोला सिंह को 4,28,227 मत तो तनवीर हसन को 3,69,892 मत मिले थे।

बेगूसराय सीट पर इस चुनाव में रोमांचक लड़ाई पर देश की नजरें टिकी हुई हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के सहायक प्राध्यापक राजन झा इन दिनों बेगूसराय चुनाव पर नजर रखे हुए हैं। उनका कहना है, "कन्हैया ने अपना या यूं कहें कि वामपंथी वोटबैंक को सुरक्षित तो रखा ही है, अन्य पार्टियों के वोटबैंक में सेंधमारी करने में भी सफल रहा है, जिससे इसकी स्थिति मजबूत बनी हुई है।"

उन्होंने कहा कि बछवाड़ा, बखरी और तेघड़ा विधानसभा में कन्हैया का अपना वोटबैंक है, जबकि चेरिया बरियारपुर, बेगूसराय और मटिहानी के अन्य पार्टियों के वोटबैंक में कन्हैया ने सेंधमारी की है। झा कहते हैं कि कन्हैया के पक्ष में सभी मतदान केंद्रों में मत मिलना भी तय माना जा रहा है।

बेगूसराय के स्थनीय लोगों का मानना है कि कन्हैया की लोकप्रियता का बढ़ता ग्राफ सत्तारूढ़ भाजपा से कहीं ज्यादा राजद के लिए खतरा बन रहा है। क्षेत्र के भाजपा समर्थकों का मानना है कि मतदाताओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आकर्षण बरकरार है, जबकि विपक्षी गठबंधन को उम्मीद है कि वह अपने सामाजिक अंकगणित से इसकी काट निकाल लेंगे। ज्यादातर भाजपा नेता और समर्थक मोदी नाम पर भरोसा टिकाए हुए हैं। खुद गिरिराज सिंह कह चुके हैं कि मोदी ही हर सीट पर उम्मीदवार हैं।

बेगूसराय के वरिष्ठ पत्रकार श्यामा चरण मिश्र कहते हैं कि गिरिराज सिंह की भूमिहार, सवर्णो, कुर्मी और अति पिछड़ा वर्ग पर अच्छी पकड़ है, जबकि राजद मुस्लिम, यादव और पिछड़ी जाति के वोटरों को अपने खेमे में किए हुए है। उन्होंने कहा कि राजद अगर अपना उम्मीदवार नहीं देता, तब कन्हैया की जीत पक्की मानी जा सकती थी।

उन्होंने कहा कि राजद और वामपंथी के साझा उम्मीदवार उतर जाने से भाजपा के विरोधी वोटों का बंटवारा तय माना जा रहा है, जो भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

उन्होंने कहा, "इन तीनों दलों के पास अपना-अपना आधार वोट है। अब देखना रोचक यह होगा कि तीनों प्रत्याशी किसके गढ़ में सेंधमारी कर पाते हैं। मतों के ध्रुवीकरण को जो प्रत्याशी रोकने में सफल होगा, जीत उसी की होगी। यदि ऐसा नहीं होता है तो परिणाम अप्रत्याशित होंगे।"

उल्लेखनीय है कि बेगूसराय की राजनीति जाति पर आधारित रही है। बछवाड़ा, तेघड़ा, बेगूसराय, मटिहानी, बलिया, बखरी, चेरियाबरियारपुर सात विधानसभा क्षेत्र वाले बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में एक अनुमान के मुताबिक, 19 लाख मतदाताओं में से भूमिहार मतदाता करीब 19 फीसदी, 15 फीसदी मुस्लिम, 12 फीसदी यादव और सात फीसदी कुर्मी हैं।

यहां की राजनीति मुख्य रूप से भूमिहार जाति के आसपास घूमती है। इस बात का सबूत है कि पिछले 10 लोकसभा चुनावों में से कम से कम नौ बार भूमिहार सांसद बने हैं।

इधर, सभी प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मस्थली बेगूसराय में जीत दर्ज करने के लिए कन्हैया कुमार पिछले छह महीने से लगातार दौरा कर रहे हैं। इस क्रम में कई बड़ी हस्तियां भी उनके पक्ष में उतर चुकी हैं।

हालांकि, इस रोचक जंग में किसकी जीत होगी, इसका पता तो 23 मई के चुनाव परिणाम आने के बाद ही चलेगा, मगर यहां के लोगों को आशा है कि जीत किसी की भी हो, यहां से जीतने वाला अगला सांसद दिनकर के नाम पर एक विश्वविद्यालय की स्थापना इस बार जरूर करवा दे।

बेगूसराय में लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में मतदान 29 अप्रैल को होगा। नतीजों की घोषणा 23 मई को की जाएगी।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it