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बेगुनाह दहशतगर्द - लखनऊ में सियासत की कैद में बेगुनाह

आतंकवाद के आरोप से बरी आफताब आलम अंसारी की मां आयशा बेगम मसीहुद्दीन संजरी द्वारा लिखित किताब ‘बेगुनाह दहशतगर्द’ का विमोचन करेंगी

बेगुनाह दहशतगर्द - लखनऊ में सियासत की कैद में बेगुनाह
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किताब ‘बेगुनाह दहशतगर्द’ का विमोचन करेंगी आतंकवाद के आरोप से बरी आफताब आलम अंसारी की मां

16 जनवरी 2017, सोमवार को डेढ़ बजे यूपी प्रेस क्लब, लखनऊ में ‘सियासत की कैद में बेगुनाह’ सम्मेलन का आयोजन

आतंकवाद के आरोप से बरी आफताब आलम अंसारी की मां आयशा बेगम मसीहुद्दीन संजरी द्वारा लिखित किताब ‘बेगुनाह दहशतगर्द’ का विमोचन करेंगी

लखनऊ 15 जनवरी 2017। रिहाई मंच 16 जनवरी 2017, सोमवार को डेढ़ बजे यूपी प्रेस क्लब, लखनऊ में ‘सियासत की कैद में बेगुनाह’ सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।

दस वर्ष पूर्व 16 जनवरी 2008 को रिहा हुए आफताब आलम अंसारी की मां आयशा बेगम लखनऊ कोर्ट द्वारा आतंकवाद के मामलों में दोषमुक्त हुए चौदह नवजवानों पर रिहाई मंच नेता मसीहुद्दीन संजरी द्वारा लिखित किताब ‘बेगुनाह दहशतगर्द’ का विमोचन करेंगी।

रिहाई मंच लखनऊ प्रवक्ता अनिल यादव ने बताया कि जिस तरह से 17 जनवरी को रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या के एक साल हो रहे हैं तो वहीं जेएनयू छात्र नजीब तीन महीने से ज्यादा समय से गायब कर दिए गए हैं। सरकारों से अपने बेटों की जिन्दगियों के लिए कहीं रोहित तो कभी नजीब की मां तो दस वर्ष पहले ठीक इसी तरह कलकत्ता से लखनऊ आकर आफताब आलम अंसारी की मां ने इंसाफ की लड़ाई लड़ी थी।

उन्होंने कहा कि जहां पहले मुस्लिम युवकों को, जो व्यवसाय के लिए जाते थे, उठा लिया जाता था तो वहीं मदरसों को आतंकवाद से जोड़कर वहां पढ़ने-पढ़ाने वालों को उत्पीड़ित किया जाता था। अब वह सिलसिला अब जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित कैंपसों में भी होने लगा है।

उन्होंने कहा कि अब किसी दलित छात्र रोहित वेमुला को आत्म हत्या करने पर मजबूर न होना पड़े तो वहीं किसी जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों से किसी नजीब को न गायब किया जा सके इसके खिलाफ मजबूत आवाज उठानी होगी।

रिहाई मंच लखनऊ महासचिव शकील कुरैशी ने कहा कि जब यूपी में 2007-2008 में आतंकवाद के नाम पर पकड़े गए मुस्लिम युवकों का मुकदमा कचहरियों में नहीं लड़ने दिया जा रहा था तो ऐसे में रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कचहरी धमाकों के आरोप में पकड़े गए आफताब आलम अंसारी का मुकदमा लड़ा और 16 जनवरी 2008 को 22 दिनों में जिनकी रिहाई हुई।

उन्होंने कहा कि बेगुनाहों की रिहाई के इस आंदोलन में यह तारीख अहम है यहीं से हमारा आंदोलन नई चुनौतियों के साथ दसवें साल में प्रवेश कर रहा है। कुरैशी ने इंसाफ पसंद अवाम से सम्मेलन में शामिल होने की गुजारिश की।


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