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'बीट प्लास्टिक प्रदूषण' अभियान 2 जून से

वी केयर प्रोजेक्ट से अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा, "बहुआयामी प्लास्टिक अपशिष्ट, हालांकि एक गैर नवीकरणीय अपशिष्ट है

बीट प्लास्टिक प्रदूषण अभियान 2 जून से
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नई दिल्ली। प्लास्टिक के वैकल्पिक उपयोग पर अधिक जागरूकता पैदा करने और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पर विभिन्न विधियों के प्रसार के लिए भारतीय प्रदूषण नियंत्रण संघ (आईपीसीए) विश्व पर्यावरण दिवस पर संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से शनिवार को 'बीट प्लास्टिक प्रदूषण' अभियान शुरू करने जा रहा है। आईपीसीए की तरफ से जारी बयान के अनुसार, अभियान शुभारंभ के मौके पर विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में संस्था के संस्थापक निदेशक आशीष जैन प्लास्टिक कचरे के सतत उपयोग पर को रेखांकित करते हुए प्लास्टिक कचरे के सतत आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन पर अपना काम पेश करेंगे। उनके अनुसार, प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध न तो एक विकल्प है और न ही समाधान है।

जैन ने कहा, "हमें विधियों और तकनीक को इस तरह से तैयार करना है, जिससे प्लास्टिक को टिकाऊ संसाधन के रूप में उपयोग कर सकें।"

वी केयर प्रोजेक्ट से अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा, "बहुआयामी प्लास्टिक अपशिष्ट, हालांकि एक गैर नवीकरणीय अपशिष्ट है, लेकिन इसका उपयोग ऊर्जा संयंत्र में बिजली पैदा करने के लिए किया जा सकता है या सीमेंट भट्टियों में ईंधन के रूप में किया जा सकता है, क्योंकि इसमें उच्च कैलोरी मूल्य होता है।"

बयान के अनुसार, आईपीसीए ने 28 नवंबर, 2017 को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 धारा 9 (2) के अनुसार बहुआयामी प्लास्टिक (एमएलपी) अपशिष्ट के संग्रहण और रीसाइक्लिंग के लिए भारत की पहली संयुक्त ईपीआर पहल शुरू की थी। इस परियोजना को पेप्सिको इंडिया होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड, नेस्ले इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, परफैटी वान मेले प्राइवेट लिमिटेड, डाबर इंडिया लिमिटेड और धर्मपाल सत्यपाल लिमिटेड ने मिलकर आठ शहरों में लागू किया, जिनमें दिल्ली, नोएडा, गुड़गांव, फरीदाबाद, गाजियाबाद, चंडीगढ़, मुंबई और देहरादून शामिल हैं।


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