Top
Begin typing your search above and press return to search.

वर्चुअल सुनवाई आगे जारी रखने के खिलाफ बीसीआई

भारतीय विधिक परिषद (बीसीआई) ने लॉकडाउन के दौरान सुनवाई के लिए इस्तेमाल की जा रही वर्चुअल प्रणाली को लॉकडाउन समाप्ति के बाद जारी न रखने का भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) से आग्रह किया है।

वर्चुअल सुनवाई आगे जारी रखने के खिलाफ बीसीआई
X

नयी दिल्ली। भारतीय विधिक परिषद (बीसीआई) ने लॉकडाउन के दौरान सुनवाई के लिए इस्तेमाल की जा रही वर्चुअल प्रणाली को लॉकडाउन समाप्ति के बाद जारी न रखने का भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) से आग्रह किया है।बीसीआई ने मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे को पत्र लिखकर इस बाबत आग्रह किया है। परिषद ने देश के विभिन्न आय समूहों के बीच संसाधनों की उपलब्धता के बीच अंतर को उजागर करते हुए कहा है कि देश के 90 फीसदी वकील/जज टेक्नोलॉजी से पूरी तरह वाकिफ नहीं हैं।

बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने पत्र में कहा है, “मैं दृढ़ता से कह सकता हूं कि देश भर में 90 प्रतिशत अधिवक्ता/ न्यायाधीश खुद तकनीक और इसकी बारीकियों से अनभिज्ञ हैं। शायद उनमें से कुछ उचित प्रशिक्षण के बाद सीख तो सकते हैं, लेकिन कुछ के लिए तो शायद यह प्रशिक्षण के बाद भी मुश्किल होगा।”उन्होंने लिखा है कि कई वकील कमज़ोर पृष्ठभूमि से हैं, जिनके पास न तो संसाधन है और न ही ऐसी उन्नत तकनीक के अनुकूल शिक्षा है। इस प्रकार, न्यायालय के काम का डिजिटलाइजेशन ऐसे लोगों को उनकी आजीविका से वंचित कर देगा।

श्री मिश्रा ने लॉकडाउन की अवधि के बाद भी वीडियोकांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई जारी रहने के कई प्रमुख वकीलों एवं वर्तमान एवं सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की ओर से जारी दुष्प्रचार को लेकर भी सीजेआई को अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है।

बीसीआई अध्यक्ष ने कहा है कि व्यावहारिक रूप से, भारत एक विशाल और विविधता से पूर्ण देश है, जहां महानगरों और अन्य शहरी क्षेत्रों के बीच भी तुलनात्मक दृष्टि से तकनीकी संसाधनों की उपलब्धता में अंतर है, गांव की बात तो दूर है।

उन्होंने लिखा है, “ऊंची कुर्सियों पर बैठे लोग शायद, जमीनी हकीकत से बहुत दूर लग रहे हैं और इसीलिए वे इस तरह के विचार व्यक्त कर रहे हैं और इसकी वकालत कर रहे हैं।”

उन्होंने तकनीक को न्याय वितरण प्रणाली में सहायक भूमिका निभाने वाला करार देते हुए कहा कि न्यायाधीश और दोनों पक्षों के तीन अलग-अलग स्थानों पर बैठकर अदालती कार्यवाही में हिस्सा लेने और फैसला करने का प्रस्ताव समाज के आदर्श और व्यवहार से परे होगा।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it