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बवाना उपचुनाव, शांतिपूर्ण मतदान संपन्न

दिल्ली के बवाना विधानसभा सीट पर मतदान आज शांतिपूर्ण ढ़ंग से संपन्न हो गया। आज सुबह धीमी शुरूआत हुई देर शाम छह बजे तक कुल 45 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया

बवाना उपचुनाव, शांतिपूर्ण मतदान संपन्न
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धीमी शुरूआत के बीच दर्ज हुआ 45 प्रतिशत मतदान

भाजपा, आप और कांग्रेस ने किए जीत के दावे

कम मतदान से सभी के माथे पर आया पसीना

नई दिल्ली। दिल्ली के बवाना विधानसभा सीट पर मतदान आज शांतिपूर्ण ढ़ंग से संपन्न हो गया। आज सुबह धीमी शुरूआत हुई देर शाम छह बजे तक कुल 45 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। मतदान के दौरान 17 वीवीपैट मशीनों को बदला गया तो वहीं दो ईवीएम भी बदली गईं।

उपचुनाव में कई बूथ पर ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत सामने आने के बाद यहां मतदान कुछ देर से शुरू हो सका।

बूथ नंबर 143, 144 पर मतदान में समस्या आई तो वहीं बवाना की जेजे कालोनी के बूथ नंबर 285 पर कुछ मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में नहीं मिला, इसके बाद पता चला कि उनके नाम दूसरे स्थान पर शिफ्ट हो गए हैं इस पर भी लोगों ने नाराजगी जाहिर की।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के अधिकारियों की मानें तो किसी भी बूथ पर कोई अप्रिय घटना दर्ज नहीं की गई है। हालांकि आज सुबह नौ बजे तक 5.59%मतदान दर्ज किया गया। शुरूआत धीमी रही लेकिन कई इलाकों में कतारें देखी गईं। जेजे कालोनियों के बूथ पर कई स्थानों पर लंबी कतारें थीं तो वहीं ग्रामीण इलाकों वाले बूथ पर लोगों में मतदान को लेकर उत्साह था। महिलाओं ने भी मतदान में पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया और 11 बजे तक 17.46 प्रतिशत मतदान रिकार्ड किया गया।

सबसे ज्यादा मतदान भेाजन के बाद एक बजे 27.31 प्रतिशत से तीन बजे के बीच 35.44 प्रतिशत दर्ज किया गया। शाम ढलते ढलते पांच बजे मतदाताओं की कमी दिखने लगी और 43.36 प्रतिशत से आखिरी एक घंटे में यह महज 45 प्रतिशत तक ही पहुंच सका जबकि 2015 में यहां 61.83 प्रतिशत मतदान हुआ था। हालांकि इस सीट पर अब सभी राजनीतिक दलों की धड़कनें जरूर बढ़ गई हैं।

दिल्ली में सरकार होने के बाद भी सिर्फ इस एक विधानसभा सीट के लिए आम आदमी पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा समूचा मंत्रिमंडल व पार्टी के वरिष्ठ नेताओं व दर्जन भर विधायकों ने यहां घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क साधा। वर्ष 2015 में जीत के बाद अरविंद केजरीवाल का दिल्ली पर कब्जा था, लेकिन दिल्ली नगर निगम के चुनाव व बाद में राजौरी गार्डन विधानसभा में हुए उपचुनाव में पार्टी का भ्रम टूट गया।

आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार की राजौरी गार्डन में तो जमानत जब्त हो गई। पार्टी को यह बड़ा झटका लगा और अब वह एक अदद जीत से अपने कार्यकर्ताओं में मनोबल को जिंदा करने की संजीवनी खोज रही है। यह जीत उसके लिए संजीवनी हो सकती है।

बता दें कि बवाना विधानसभा उपचुनाव पर भाजपा, कांग्रेस और आप का शीर्ष नेतृत्व नजर रखे हुए है। कांग्रेस पार्टी ने मतदाताओं को लुभाने और इस सीट पर विजय के लिए हर संभव प्रयास किए हैं और इसका असर भी दिख रहा है। कांग्रेस के सुरेंद्र कुमार की नैय्या पार लगाने में जाट नेता सज्जन कुमार ने भी यहां पूरी ताकत झोंक दी है।

इसके बाद ही उम्मीद जाग रही है कि यहां से कांग्रेस को विधानसभा में प्रवेश मिल सकती है। भाजपा इस सीट को जीतना चाहती है क्योंकि यह सीट भाजपा की वजह से ही रिक्त हुई थी। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के खाते में यह सीट चली गई थी जबकि 2013 के चुनाव में यह उस दौरान भाजपा के नेता घुग्गन सिंह ने जीती थी।

कुछ महीने पहले इस विधानसभा के मौजूदा विधायक आप नेता वेदप्रकाश ने सीट और पार्टी दोनों से इस्तीफा दे दिया और वे भाजपा में शामिल हो गए इसलिए भाजपा इस मौके को चूकने के पक्ष में नहीं है।


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