दिल्ली पहुंचेगी गंगा को बचाने की लड़ाई
गंगा की धारा को अविरल बनाने का वादा कर बनारस से चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गंगा से कितना प्रेम

नई दिल्ली। गंगा की धारा को अविरल बनाने का वादा कर बनारस से चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गंगा से कितना प्रेम है, इसे प्रोफेसर जीडी अग्रवाल के आमरण अनशन और सरकार के उपेक्षापूर्ण व्यवहार से समझा जा सकता है। प्रोफेसर अग्रवाल पिछले 22 जून से आमरण अनशन कर रहे हैं, यह अनशन गंगा को स्वच्छ बनाने को लेकर है। उनसे बात करने का वक्त ना तो प्रधानमंत्री के पास है ना ही गंगा मंत्री नितिन गड़करी।
उत्तराखंड के उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड सरकार के अधिकारियों को 12 घंटे के अंदर उनके बात करने का निर्देश दिया था, पर सरकार बात करने की जगह सर्वोच्च न्यायालय चली गई। अब गंगा समर्थक इस लड़ाई को दिल्ली लाने की तैयारी में हैं, इसके लिए गंगा सत्याग्रह मार्च का आयोजन हो रहा है, जो 24 जुलाई को हरिद्वार से शुरु होकर 25 जुलाई को राजघाट पहुंचेगी।
गंगा को लेकर यह पहला अनशन नहीं है, इससे पहले 12 जुलाई 2014 को बाबा नागनाथ की मौत हो गई थी, वे भी गंगा को अविरल करने की मांग कर रहे थे। साल 2011 में उनसे पहले गंगापुत्र निगमानंद भी 68 दिन के लगातार अनशन के बाद कोमा में चले गए थे, बाद में उनकी मौत हो गई।
निगमानंद गंगा के इलाके में अवैध उत्खनन को रोकने के लिए आंदोलन कर रहे थे। इन दोनों मौतों के बाद ना तो गंगा अविरल हुई, ना ही सरकारों की सेहत पर कोई असर पड़ा। अब तीसरा आंदोलन चल रहे है,जिसे लगभग एक माह होने वाला है। प्रो. अग्रवाल आईआईटी में पढ़ा चुके हैं और गंगा पर व्यापक अध्ययन करने वाले एक मात्र व्यक्ति हैं। गंगा को बचाने के लिए उनका अपना अध्ययन है, इसके आधार पर सेवानिवृत्त न्यायाधीश गिरीधर मालवीय की अध्यक्षता में गठित गंगा महासभा ने राष्ट्र नदी गंगाजी (संरक्षण एवं प्रबंधन) अधिनियम 2012 तैयार किया है, यह अधिनियम सरकार के पास है, जिस पर आज तक कोई काम नहीं किया गया। प्रो. अग्रवाल ने कई पत्र भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व गडकरी को लिखे हैं, पर अभी तक सकारात्मक पहल नजर नहीं आ रही है। प्रो. अग्रवाल के आंदोलनों के समर्थकों ने कल राजधानी में एक बैठक की, उनकी चिंता 86 साल के बुजुर्ग प्रो. अग्रवाल व गंगा दोनों को बचाने की है। जल पुरुष डा राजेन्द्र सिंह ने बताया, कि इस अभियान से जुड़े तमाम लोगों ने सरकार को इसके लिए पत्र लिखे हैं, अलग-अलग दलों के सांसदों से भी मुलाकात की है,जिससे इस मामले को संसद में उठाया जा सके। 25 जुलाई को राजघाट पर होने वाले सत्याग्रह में देशभर के तमाम नदी प्रेमी जमा होंगे, इसके बाद व्यापक जनसमर्थन जुटाने का काम किया जाएगा।


