बस्तर आदिवासियों की अधिकारियों से बांग्लादेशी घुसपैठियों पर कार्रवाई की मांग
छत्तीसगढ के बस्तर संभाग के आदिवासियों ने आला अधिकारियों से अंचल में बांग्लादेशियों घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई करने समेत अपनी कई मांगें पूरी नहीं होेने पर आर्थिक नाकेबंदी की चेतावनी दी है
जगदलपुर। छत्तीसगढ के बस्तर संभाग के आदिवासियों ने आला अधिकारियों से अंचल में बांग्लादेशियों घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई करने समेत अपनी कई मांगें पूरी नहीं होेने पर आर्थिक नाकेबंदी की चेतावनी दी है। सर्व आदिवासी समाज के नेताओं और प्रशासनिक अमले के बीच मंगलवार दोपहर यहां एक लंबी बैठक हुई। करीब पांच घंटे चली इस बैठक में संभागायुक्त दिलीप वासनीकर एवं पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) विवेकानंद सिन्हा भी मौजूद थे।
बैठक में सर्व आदिवासी समाज की ओर से चार प्रमुख मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई, जिसमें पालनार में छात्राओं से छेड़छाड़ सहित नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण और कांकेर जिले के परलकोट में अवैध रुप से रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग शामिल थी। बैठक में बताया गया कि 1971 के बाद से इस क्षेत्र में बांग्लादेशियों की जनसंख्या में खासा इजाफा हुआ है और इनकी पहचान कर इनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। बैठक में मौजूद पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम और पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने कहा कि 1971 की स्थिति में परलकोट में 933 परिवार शरणार्थी के रूप में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से आए थे। उन्हें उस इलाके के 133 गांवों में बसाया गया था।
उस समय इनकी आबादी 5 हजार के आसपास रही होगी लेकिन आज इनकी संख्या डेढ़ लाख हो गई है। दोनों नेताओं ने नगरनार में बन रहे स्टील प्लांट के निजीकरण का भी विरोध किया। बैठक के बाद संभागायुक्त एवं आईजी ने कहा कि प्रशासन समाज की मांगों को लेकर संवेदनशील है। घुसपैठियों के संदर्भ में समाज प्रमुखों से तथ्यात्मक जानकारी मांगी गई है। इनके खिलाफ एक्ट के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। पालनार मामले में कार्रवाई से आदिवासी नेता संतुष्ट नजर आए। वहीं नगरनार केंद्र का मुद्दा होने से इसे शासन को भेजने पर सहमति दर्ज की गई। अन्य समस्याओं का समाधान संवैधानिक दायरों के अन्तर्गत किया जाएगा।


