गार्डेनिया गेट-वे के खरीदार को बैंक ने थमाया फ्लैट खाली करने का नोटिस
आम्रपाली के बाद अब सेक्टर-75 के गार्डेनिया गेट-वे के बायर्स को घर खाली करने का नोटिस आया है। ये नोटिस बैंक की तरफ से प्रत्येक मालिक को भेजा गया

नोएडा। आम्रपाली के बाद अब सेक्टर-75 के गार्डेनिया गेट-वे के बायर्स को घर खाली करने का नोटिस आया है। ये नोटिस बैंक की तरफ से प्रत्येक मालिक को भेजा गया है। बायर्स का आरोप है कि उन्होंने बिल्डर गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 4 साल पहले ही पूरा पेमेंट करके लैट लिया था। अब उन्हें उसी फ्लैट को खाली करने का नोटिस पकड़ाया गया है। बायर्स ने केंद्र व राज्य सरकार से अपील की है कि वह उनकी समस्या का समाधान करे।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने लगभग 4 साल पहले बिल्डर गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को धोखाधड़ी से 78 करोड़ का लोन निर्माण के लिए दिया था। जबकि उस वक्त बिल्डिंग का पूरा निर्माण हो चूका था और फ्लैट मालिकों ने भी सारा पैसा बिल्डर को दे दिया था। इस लोन के बारे में फ्लैट मालिकों को कुछ भी नहीं बताया गया था। जबकि बहुत से फ्लैट मालिकों ने अपने लैट पर बहुत पहले से ही लोन ले रखा था जिसकी एनओसी बिल्डर पहले ही बैंकों को दे चुका था। ऐसे में एक ही प्रॉपर्टी पर दो बार लोन बैंक द्वारा कैसे दिया गया। बायर्स का आरोप है कि इस धोखाधड़ी में नोएडा प्रशासन भी बराबर का भागीदार है। जबकि बिल्डर पर प्राधिकरण का भी कई करोड़ रुपए बकाया है। इसके बाद भी प्राधिकरण ने बिल्डर को एनओसी कैसे जारी की। बायर्स ने सवाल किया कि अब जब बिल्डर लोन वापस नहीं कर रहा है तो इसके लिए फ्लैट मालिक जिन्होंने पूरा पैसा दे दिया है कैसे जिम्मेदार हैं? बिल्डर ने सारा पैसा कहीं और डायवर्ट किया वह पैसे वापस नहीं कर रहा तो बैंक उसको पकड़े और पैसा वसूल करे। ऐसे में फ्लैट मालिकों को नोटिस जारी कर फ्लैट खाली करवाना अमानवीय और गैरकानूनी है।
बायर्स ने बताया कि हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने आम्रपाली के आदेश में साफ कहा है कि फ्लैट मालिकों को कोई भी उनके घरों से नहीं निकाल सकता। चाहे वह बैंक हो जिसने धोखे से बिल्डर को लोन दिया, और या फिर नोएडा प्राधिकरण जिसको बिल्डर ने जमीन की कीमत तक अदा नहीं की। घर खरीदार लगभग 3 साल से बिल्डर को अनुरोध कर रहे हैं। लेकिन बिल्डर ने घर खरीदारों से पूरा भुगतान लेने के बाद भी परियोजना का काम अभी तक पूरा नहीं किया है।


