धान की खेती पर प्रतिबंध : रमन सरकार दे मुआवजा
छत्तीसगढ़ किसान सभा ने रबी फसलों के लिए भूमिगत जल के उपयोग तथा धान की खेती पर प्रतिबंध लगाने के राज्य सरकार के आदेश का कड़ा विरोध किया है

रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने रबी फसलों के लिए भूमिगत जल के उपयोग तथा धान की खेती पर प्रतिबंध लगाने के राज्य सरकार के आदेश का कड़ा विरोध किया है तथा इसके एवज में किसानों को प्रति एकड़ 21000 रूपये मुआवजा देने की मांग की है।
आज जारी एक बयान में छग किसान सभा के महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि जब उद्योगपति बड़े पैमाने पर जल संपदा की लूट कर रहे हैं, यह आदेश कृषि अर्थव्यवस्था, खाद्यान्न-आत्मनिर्भरता और खेती-किसानी के संबंध में किसानों के निर्णय लेने के अधिकार पर ही सीधे-सीधे हमला है तथा कॉर्पोरेट हितों से प्रेरित हैं, जो चाहते हैं कि किसान खेती छोड़कर शहरों में सस्ते मजदूरों के रूप में उपलब्ध हों।
किसान सभा नेता ने कहा है कि सूखे और अकाल के चलते जब खरीफ फसल बर्बाद हो चुकी है, रबी की फसल ही उनको हुए नुकसान की थोड़ी-बहुत भरपाई कर सकता था। लेकिन भाजपा सरकार उन्हें इससे भी वंचित कर रही है. इससे किसानों की हालत और गिरेगी और क़र्ज़ के फंदे में फंसकर वे आत्महत्या के लिए ही प्रेरित होंगे।
किसान सभा ने मांग की है कि या तो सरकार अपना यह तुगलकी निर्णय वापस लें या फिर किसानों को हो रहे नुकसान की एवज़ में, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्रति एकड़ 15 क्विंटल औसत उत्पादन के आधार पर 21000 रूपये प्रति एकड़ और रेघा/अधिया/ठेका/बंटाई/वनभूमि में खेती करने वाले किसानों को 10000 रूपये प्रति एकड़ मुआवजा दें. किसान सभा ने इस मांग पर व्यापक अभियान चलाने का भी निर्णय लिया है।


