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पाकिस्तान के विश्वविद्यालयों में होली जैसे सांस्कृतिक उत्सवों पर रोक से छिड़ी बहस

पाकिस्तान के उच्च शिक्षा आयोग (एचईसी) ने विश्वविद्यालयों में होली समारोह और अन्य सांस्कृतिक उत्सवों पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया है कि हाल ही में एक विश्वविद्यालय में आयोजित होली समारोह कुछ ज्यादा हो गया

पाकिस्तान के विश्वविद्यालयों में होली जैसे सांस्कृतिक उत्सवों पर रोक से छिड़ी बहस
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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के उच्च शिक्षा आयोग (एचईसी) ने विश्वविद्यालयों में होली समारोह और अन्य सांस्कृतिक उत्सवों पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया है कि हाल ही में एक विश्वविद्यालय में आयोजित होली समारोह कुछ ज्यादा हो गया और यह देश की धार्मिक पहचान को चुनौती देने जैसा है।

एचईसी में कार्यकारी निदेशक डॉ. शाइस्ता सोहेल ने सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक निर्देश जारी करते हुए कहा कि सांस्कृतिक उत्सवों पर रोक लगा दी गई है। उन्होंने कहा कि कायद-ए-आजम विश्वविद्यालय (क्यूएयू) इस्लामाबाद में हाल ही में हुए होली समारोह ने देश के सामाजिक मूल्यों को दरकिनार करने का काम किया है। उन्होंने देश की छवि पर इसके नकारात्मक प्रभावों को लेकर चिंता जताई।

एचईसी ने जारी बयान में कहा कि हम अपनी संस्कृति, मूल्यों और परंपराओं के साथ उच्च शिक्षा क्षेत्र की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं। ऐसी गतिविधियों को देखना हमारे लिए दुखद है। जो हमारे देश की इस्लामी पहचान से अलग है। एचईसी ने कहा एक विश्वविद्यालय में हिंदू त्योहार होली का आयोजन देश की छवि के विपरीत है।

एचईसी ने सलाह देते हुए कहा कि देश की पहचान और सामाजिक मूल्यों के साथ छेड़छाड़ की ऐसी घटनाएं दोबारा न हो इसका ध्यान रखा जाए। ऐसे कार्यक्रम देश के धार्मिक और सामाजिक मूल्यों को चुनौती देने का काम करते हैं। कुछ व्यक्ति कुछ खास एजेंडे के साथ इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं।

इस मामले ने देश में एक बहस छेड़ दी है। इस घटना की सराहना और आलोचना दोनों हो रही है। वहीं एक तबके ने इसे इस्लामी परंपराओं और मूल्यों के खिलाफ बताया।

शैक्षिक संस्थानों में सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और धार्मिक पहचान के बीच संतुलन बनाए रखने को लेकर एचईसी की अधिसूचना के बाद एक बहस छिड़ गई है।

एक धार्मिक विद्वान वकास तालिब ने कहा कि देश की इस्लामी विरासत को संरक्षित करना महत्वपूर्ण है। इस तरह की घटना पहले से ही भ्रमित युवाओं को इस्लामी मूल्यों से दूर ले जा सकती है। शैक्षणिक संस्थानों को सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि इस तरह के आयोजन हमारे धार्मिक मूल्यों का मुकाबला नहीं कर सकते।

वहीं दूसरों का तर्क है कि होली जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि वे सभी संस्कृतियों और धर्मों के बीच मौजूद विविधता के ज्ञान का निर्माण और प्रसार करते हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता ताहिरा अब्दुल्ला ने कहा कि सांस्कृतिक उत्सवों की अनुमति तब तक दी जानी चाहिए जब तक वे सम्मान और समझ के साथ आयोजित किए जाते हैं। होली का उत्सव एक रंगीन सांस्कृतिक कार्यक्रम है। इसे उसी उत्साह के साथ मनाने में कोई बुराई नहीं है। इस तरह के आयोजन न केवल सांस्कृतिक स्वीकार्यता पैदा करते हैं बल्कि धार्मिक सम्मान भी पैदा करते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि विश्वविद्यालयों में होली समारोह पर प्रतिबंध लगाने का एचईसी का निर्णय देश में रूढ़िवादी धार्मिक तत्वों के जटिल लेकिन मजबूत प्रतिरोध को दर्शाता है।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक मोईद पीरजादा ने कहा कि पाकिस्तानी विश्वविद्यालयों में होली समारोह पर प्रतिबंध एक बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक समाज में धार्मिक पहचान और सांस्कृतिक विविधता को संतुलित करने की जटिलता को दर्शाता है।


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