देशभर में बांबू राखियों को बनाया लोकप्रिय, अब प्रधानमंत्री को भी भेजी जाएंगी
प्रकृती और पर्यावरण से शाश्वत रोजगार के अवसर तलाश कर लोगों को इसके संवर्धन की दिशा में प्रेरित करने वाली ग्रामीण महिला ने दो वर्ष पूर्व ही आत्मनिर्भर भारत का बिगुल बजा दिया था

ग्वालियर। प्रकृती और पर्यावरण से शाश्वत रोजगार के अवसर तलाश कर लोगों को इसके संवर्धन की दिशा में प्रेरित करने वाली ग्रामीण महिला ने दो वर्ष पूर्व ही आत्मनिर्भर भारत का बिगुल बजा दिया था। अब वोकल टू लोकल के क्रम में देशभर में बांस (बांबू) की इको फ्रेंडली राखियों को लोकप्रियता दिलाने में सफल होने गई है।
हैंडमेड इन इंडिया की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए श्रीमती मीनाक्षी मुकेश वालके, ने अपने पर्यावरण के संस्कार से रोजगार की परंपरा बनाकर स्वदेशी का जागरण भी किया है। महाराष्ट्र के विदर्भ प्रांत के आदिवासी बहुल और पिछड़े क्षेत्र चंद्रपुर की श्रीमती मीनाक्षी की राखी अब देश के प्रधानमंत्री तक पहुंच रही हैं। बीते वर्ष महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को उनकी बनायी हुई राखी बांधी गई थी।
लॉक डाउन में लाखों का नुकसान होने के बावजूद हताश न होते हुए देश के लोकप्रिय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की पुकार पर नए उत्साह से काम शुरू किया। इसमें अपनी कल्पना और सूझ बुझ से राखियों व जेबों पर सजाए जाने वाले तिरंगा बैजों के अनूठे डिजाईन तैयार किए ।
आदिवासी, पिछड़े तबके की महिलाओं को इस लॉक डाउन में गुजारे के लिए रोजगार मुहैया कराते हुए श्रीमती मीनाक्षी ने राखियों के साथ तिरंगा बैज का काम शुरू किया। देखते ही देखते देश भर में ये लोकप्रिय हो गई। उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष उनकी राखियों का लोकार्पण अभिनेता आमिर खान के हाथों होना था, जो किन्हीं कारणवश नहीं हो पाया। महाराष्ट्र के पूर्व वनमंत्री सुधीर मुंगंटिवार ने इसके लिए पहल की थी। देर से ही सही आमिर खान के ही दंगल फिल्म की एक अभिनेत्री मीनू प्रजापति ने मिनाक्षी द्वारा डिजाईन की हुई ज्वेलरी ली। जो उन्हें बड़ी पसंद आने की बात भी उन्होंने ज्वेलरी पहन कर मिनाक्षी को अपनी तस्वीर भेज कर कही।
ह्यप्लास्टिक मुक्त डिझाईन्स और अपनी संस्कृति में रची बसी पर्यावरण की शुद्धता को कलात्मक वस्तुओं के रूप मे बाँस कारीगरी से सजानेवाली मीनाक्षी बीते 2 वर्ष से अपना सामाजिक उद्यम अभिसार इनोवेटिव चला रही हैं। पिछड़ी-आदिवासी महिलाओं को रोजगार प्रशिक्षण देनेवाली श्रीमती मीनाक्षी को अक्टूबर 2019 में ही दिल्ली के शक्ति फाऊंडेशन का टॉप-20 पुरस्कार मिला है।
इसके पूर्व महिला सक्षमीकरण के लिए दिल्ली से ही राष्ट्रिय नारी शक्ति सम्मान पुरस्कार मिला है, वहीं बीते वर्ष मिस क्लायमेट नामक विश्व स्तरीय ब्यूटी कॉन्टेस्ट के बांस के क्राऊन डिजाईन कर झुग्गी में रहने वाली किसान पृष्ठभूमि की श्रीमती मीनाक्षी ने इतिहास रचा है।
बांस का अधिकाधिक उपयोग कर जंगलों का संवर्धन करना, मौसम परिवर्तन में योगदान, रोजगार निर्माण व शास्वत विकास के लिए आनेवाले समय में बांबू के ही इको-फे्रंडली घरों की संकल्पना साकार करने हेतु एकात्म जूझती मीनाक्षी को इजरायल के जेरुसलेम में प्रशिक्षक के रूप में भी न्यौता मिल चुका है। 5 साल के बेटे की मां मीनाक्षी की कोई संपन्न पृष्ठभूमि नहीं है और ना ही कोई समृद्ध वातावरण है।
अपनी कल्पनाशीलता व कुछ नया करने की सोच से मीनाक्षी ने अलग हटकर काम किया। उनके काम की गुणवत्ता ऐसी कि इजिप्त व ब्राजील के जाने माने बांस डिजाइनर उनसे मिलना चाहते है। मीनाक्षी का कहना है कि उन्हे पुरस्कारों की आवश्यकता नहीं, बस आत्मनिर्भर भारत के लिए वोकल टू लोकल पर अमल कर हैंडमेड इन इंडिया को बढ़ावा मिले।
मीनाक्षी का कहना है कि बम्बू की राखी को इस लॉकडाउन में भी पूरे देश में जो प्रतिसाद मिला, वो इसका परिचायक है कि इसे देश ने अपना लिया है।
राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, गुजरात, हरियाणा, पंजाब आदि के साथ सऊदी अरब से भी इसकी मांग आने की जानकारी उन्होंने दी। जैसा श्रीमती मीनाक्षी मुकेश वालके ने फ़ोन पर बताया।


