बांस व केन के उद्योग जुड़े कलाकारों को मिल रहा है रोजगार
आईएचजीएफ-दिल्ली हस्तशिल्प मेले में हस्तशिल्प निर्यास संवर्धन परिषद पूर्वोत्तर राज्यों के हस्तशिल्पकारों को प्रोत्साहन के लिए विशेष स्थान दिया है, प्रदेश सरकारों द्वारा भी विशेष सहयोग मिल रहा है

ग्रेटर नोएडा। आईएचजीएफ-दिल्ली हस्तशिल्प मेले में हस्तशिल्प निर्यास संवर्धन परिषद पूर्वोत्तर राज्यों के हस्तशिल्पकारों को प्रोत्साहन के लिए विशेष स्थान दिया है, प्रदेश सरकारों द्वारा भी विशेष सहयोग मिल रहा है।
इंडिया एक्सपोमार्ट में बसंत मेले में त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, मेजोरम, अरुणांचल प्रदेश के हस्तशिल्पकारों ने स्टाल लगाए गए हैं। पूर्वोंत्तर राज्य के सौंदर्य को निहारने के लिए लिए लोग पहुंचते हैं उसी तरह हस्तशिल्प मेले के 45 वें संस्करण में देश विदेश के खरीदारों को पूर्वोत्तर के हस्तशिल्पकार आकर्षित कर रहे हैं।
पूर्वोत्तर में सबसे अधिक बांस और केन का उत्पादन होता है, वहां के शिल्पकार बांस और केन पर अपनी कलाकृति को उकेरकर वैश्विक स्तर पर पहुंचा रहे है। आज वैश्विक स्तर पर बांस और केन के फर्नीचर के साथ सजावटी सामान पसंद किया जा रहा है।
पूर्वोत्तर पवेलियन में त्रिपुरा से आए कलाकार कनक कांतिधर ने बताया कि हमारे यहां बांस से बने हस्तशिल्प सबसे इको-फें्रडली शिल्प होते हैं। बांस से कई तरह का सामान बनते हैं, जैसे टोकरी, गुड़िया, खिलौने, चलनी, ई-रिंग, चटाई, दीवार पर लटकाने का सामान, छाते के हैंडल, क्रॉसबो, खोराही, कुला, डुकुला, काठी, गहने के बक्से आदि। टेबल लैंप के साथ विभिन्न उत्पाद विदेशियों को लुभा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि दुबई, तुर्की, यूएसए जैसे देशों के लोग पसंद कर रहे हैं। इस सत्र में विदेशों से आर्डर मिल रहे हैं, जैसा आर्डर मिलेगा उसे तैयार कर भेजा जाएगा। इसी क्षेत्र में बेंत सेफ्ट्रे, टोकरियां, स्टाइलिश फर्नीचर विदेशी पसंद कर रहे हैं। कनक ने बताया कि विदेशों में बांस के बने उत्पाद की मांग बढ़ने के साथ स्थानीय आर्टिस्ट को रोजगार भी मिल रहा है। जिस तरह से डिजाइन की मांग की जाती है उसको तैयार करने के लिए आर्टिस्ट को प्रशिक्षण दिया जाता है।


