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बलौदाबाजार : 3.72 लाख स्कूल-आंगनबाड़ी के बच्चों की होगी स्वास्थ्य जांच

 चिरायु कार्यक्रम के अंतर्गत इस साल स्कूल-आंगनबाड़ी केन्द्रों के 3 लाख 72 हजार बच्चों की सेहत का जांच किया

बलौदाबाजार : 3.72 लाख स्कूल-आंगनबाड़ी के बच्चों की होगी स्वास्थ्य जांच
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बलौदाबाजार। चिरायु कार्यक्रम के अंतर्गत इस साल स्कूल-आंगनबाड़ी केन्द्रों के 3 लाख 72 हजार बच्चों की सेहत का जांच किया जाएगा। इनमें 2 लाख 71 हजार स्कूलों के बच्चे और एक लाख 1 हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चे शामिल हैं।

शून्य से लेकर 18 बरस तक के बच्चों का उनके स्कूल में पहुंचकर संपूर्ण स्वास्थ्य परीक्षण करना चिरायु कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य है।

कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल ने आज यहां जिला कार्यालय के सभाकक्ष में स्वास्थ्य, स्कूल शिक्षा एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर चिरायु कार्यक्रम की प्रगिति की समीक्षा की।

कलेक्टर ने कहा कि बाल्यकाल से ही बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण कर बीमारी की पहचान एवं इलाज सुनिश्चित करने की यह अच्छी योजना है। इस योजना के अंतर्गत एक भी बच्चा स्वास्थ्य जांच से वंचित नहीं होने चाहिए। उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग एवं स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को चिरायु टीम के आने के दिन बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
कलेक्टर ने लगभग 3 घण्टे तक मैराथन बैठक लेकर चिरायु की टीम वार प्रगति की विस्तृत समीक्षा की। उल्लेखनीय है कि जिले में योजना के अंतर्गत लक्ष्य प्राप्ति के लिए 14 चिरायु टीम बनाए गए हैं। प्रत्येक टीम में एक डॉक्टर के नेतृत्व सहित पांच सदस्य होते हैं। इन टीमों पर जिले के 2 हजार 82 स्कूल एवं आश्रम तथा एक हजार 994 आंगनबाड़ी का दौरा करके बच्चों की सेहत जांच कर रिपोर्ट बनाना है।

आंगनबाड़ी केन्द्रों का वर्ष में दो बार और स्कूलों का एक बार निरीक्षण किया जाना है। सीएमएचओ ने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में दर्ज एक लाख 1 हजार बच्चों में से लगभग 69 प्रतिशत बच्चों के सेहत का परीक्षण किया जा चुका है। स्कूलों में दर्ज दो लाख 71 हजार में से फिलहाल 4 प्रतिशत प्रगति हुई है।

कलेक्टर ने कार्य-योजना के अनुरूप समय-सीमा में जांच करने को कहा है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि जांच गुणवत्ता पूर्ण होनी चाहिए। केवल औपचारिकता दिखाकर संख्या में बढ़ोतरी करना हमारा लक्ष्य नहीं होनी चाहिए। टीम द्वारा मौके पर ही बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करके दवाई प्रदान की जाती है। गंभीर किस्म के बच्चों की जांच के लिए स्थानीय सामुदायिक केन्द्र रिफर किया जाता है।

इससे और ज्यादा अति गंभीर बच्चों का इलाज राजधानी रायपुर में किया जाता है। यह संपूर्ण जांच एवं इलाज नि:शुल्क किया जाता है। कलेक्टर ने अब तक बेहतर प्रदर्शन के लिए बलौदाबाजार की ए टीम एवं कसडोल की ए एवं बी दोनों टीमों की सराहना भी की।
चिरायु योजना के अंतर्गत बच्चों में बीमारी को 5 समूहों में बाटकर हिसाब रखा जाता है। ज्यादातर बीमारियां दृष्टिदोष, त्वचा संबंधी बीमारी, दंतरोग, कान का संक्रमण, विटामिन ए की कमी और कुपोषण के रूप में सामने आई है।

जांच के अंतर्गत सिकलसेल का पृथक से परीक्षण किया जाता है। परीक्षण में 2 हजा हजार 724 बच्चों में सिकलसेल पॉजीटिव पाई गई है। इनमें से 2 हजार 173 का इलेक्ट्रोफोरासिस टेस्ट हो चुका है। 551 का बचा हुआ है। कलेक्टर ने इस सभी का टेस्ट जल्द से जल्द करने के निर्देश दिए। परीक्षण के बाद प्रत्येक बच्चे की जांच रिपोर्ट को दर्शाते हुए चिरायु कार्ड जारी किया जाता है। टीम द्वारा परीक्षण के साथ-साथ माहवारी एवं गुड टच-बेड टच के संबंध में जागरूकता के लिए एनीमेटेड वीडियो भी बच्चों को दिखाया जाता है।

इसका अच्छा असर बच्चों में देखने को मिल रहा है। कलेक्टर ने वीडीयो की कॉपी शिक्षकों को प्रदान करके हर महीने इसे दिखाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. वाई के शर्मा ने कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल द्वारा बैठक में दिये गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप सेवाओं में और सुधार करने का भरोसा दिलाया। बैठक में डिप्टी कलेक्टर एवं कलेक्टोरेट में स्वास्थ्य विभाग के ओआईसी श्री सचिन भूतड़ा ने भी योजना के अंतर्गत और बेहतर प्रदर्शन के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिये।
क्रमांक 63/पटेल


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