फर्जी ओडीएफ की गूंज छत्तीसगढ़ की राजधानी तक पहुंची
बालोद ! बालोद विकासखंड को फर्जी ओडीएफ करने की गूंज जिले में ही नही अपितु राजधानी रायपुर में भी इसकी चर्चा जमकर होने लगी है।

बालोद ! बालोद विकासखंड को फर्जी ओडीएफ करने की गूंज जिले में ही नही अपितु राजधानी रायपुर में भी इसकी चर्चा जमकर होने लगी है। वहीं विकासखंड के अनेक ग्राम पंचायतो में आज भी लोग खुले में शौच जाने को मजबूर है जिसका मुख्य वजह ग्रामीणो के घरो में अब भी शौचालय का निर्माण नही हो पाया है तो दूसरी ओर जनपद पंचायत के अधिकारियों के दबाव के चलते सरपंच सचिव खाना पूर्ति को पूर्ण करवाने के लिए एक ही परिवार में दो से तीन शौचालय का निर्माण करवा दिया गया है। तो कहीं शौचालय निर्माण के लिए ठेकेदारी के चलते जल्दबाजी में घटिया सामाग्रियों का इस्तेमाल कर अपने चहेते ठेकेदार को पूंजीपति बनवाने में अधिकारियों द्वारा अहम भूमिका निभाई जा रही है यह खेल सिर्फ बालोद विकासखंड ही नही बलकि पूरे बालोद जिले में खुलकर चल रही है। परंतु जिला पंचायत से लेकर जनपद पंचायत के अधिकारियों द्वारा शौचालय निर्माण की राशि को संबधित हितग्राही को दिलाने में नाकाम साबित हो रहा है, जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण सरपंचो द्वारा जनपद पंचायत कार्यपालन अधिकारी को ग्राम पंचायत ओडीएफ होने का प्रमाण पत्र नही देना इसका जीता जागता सबूत है।
आज वर्तमान में बालोद विकासखंड सहित जिले के सरपंचगण जिला प्रशासन व जिला पंचायत तथा जनपद पंचायत के अधिकारियों की हिला हवाला कार्यप्रणाली व आश्वासन के चलते निराश व परेशान हैं। पंचायत प्रतिनिधि अपनी निजी संपत्तियों को सेठ साहूकार के पास गिरवी रखकर या अपनी जमीन को बेचकर शौचालय निर्माण को पूरा करवाया है, और इसकी पीड़ा जिले की सक्षम अधिकारियों को सरपंचो द्वारा प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होकर बयां किया गया है, परंतु जिले के ग्रामीण विकास विभाग को इसकी कोई गूंज सुनाई नही दे रही है। सरपंचो ने बताया कि इस प्रकार की हिला हवाला व जिला प्रशासन तथा जिला पंचायत एवं जनपद पंचायत के अधिकारियों की तानाशाही रवैये व निष्क्रियता को देखते हुए आने वाले कुछ ही दिनो में इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी जायेगी। जहां प्रशासन द्वारा सरपंचो को धारा 40 के तहत बर्खास्तगी की धमकी व पंचायतो में कराये जाने वाले विकास कार्यो की फंड को रोके जाने की धमकी के चलते मानसिक रूप से परेशान हैं। सरपंचो ने आगे बताया कि प्रशासन सरपंच प्रतिनिधियों को सिर्फ सील मुहर बनाकर ही रखा हुआ है तथा अपने मन माफिक आदेश व निर्देश करते हुए कार्य कराया जा रहा है। परंतु जब हमारी समस्याओं की निराकरण की बारी आती है तो स्थानीय प्रशासन द्वारा मुंह फेर लिया जाता है व नियम कानून का हवाला दिया जाता है। सरपंचो ने दबी जुबान से बताया कि बालोद विकासखंड को ओडीएफ की घोषणा किया जाना सिर्फ कागजो पर है, वास्तविक स्थिति तो वर्तमान में आज कुछ और बयां कर रही है, जिला पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी द्वारा बाहर से आने वाले निरीक्षण टीम को सिर्फ उन्ही पंचायत में भेजा जाता है जहां का कार्य पूर्ण हुआ है परंतु वास्तविक रूप से देखा जाये तो आज भी पचास प्रतिशत ही कार्य हो पाया है। आज भी हितग्राहियों के बनाये गये शौचालय निर्माण कार्य में खिडक़ी दरवाजे टंकी, छत, सीट आधा अधूरा पड़ा है जिसका पूर्ण रूप से वर्तमान में अभी भी उपयोग नही किया जा रहा है। लोग आज भी अपने हाथों से बनाए हुए बारदाने पट्टी का घेरा बनाकर शौचालय का उपयोग कर रहें हैं, या फिर मजबूरी में खुले में शौच जाने का मजबूर हैं।


