दिल्ली का बल्लीमारान : पहले था कांग्रेस का गढ़, अब आप का
बल्लीमारान विधानसभा क्षेत्र साल 1993 में अस्तित्व में आया और तब से लेकर 2015 तक यह कांग्रेस का गढ़ रहा

नई दिल्ली। बल्लीमारान विधानसभा क्षेत्र साल 1993 में अस्तित्व में आया और तब से लेकर 2015 तक यह कांग्रेस का गढ़ रहा। मगर राजनीति में कब क्या हो जाए, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। इस निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हारून यूसुफ लगातार पांच बार विधायक रहे, मगर 2015 में नवगठित आम आदमी पार्टी (आप) ने उनके विजयी रथ को रोक दिया।
मुस्लिम बहुल क्षेत्र बल्लीमारान में यूसुफ ने 1993, 1998, 2003, 2008 और 2013 में लगातार पांच बार जीत हासिल की थी। मगर उन्हें 2015 के विधानसभा चुनावों में आप के इमरान हुसैन ने करारी शिकस्त दी। हुसैन ने कांग्रेस के गढ़ में 59.71 फीसदी मतों के साथ जीत दर्ज की, जबकि यूसुफ तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार श्याम लाल मोरवाल दूसरे स्थान पर रहे थे।
दिल्ली के कुल 70 विधानसभा क्षेत्रों में से एक बल्लीमारान चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र का एक हिस्सा है। इस निर्वाचन क्षेत्र में 63,358 महिलाओं सहित कुल 1,40,968 मतदाता हैं। क्षेत्र का लिंगानुपात 817 है, जोकि दिल्ली के औसत लिंग अनुपात 824 से कम है।
यहां पर आप और कांग्रेस दोनों के बीच एक अहम मुकाबला देखने को मिलेगा। कांग्रेस ने हालांकि अभी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है, लेकिन आप ने यहां से अपने मौजूदा विधायक हुसैन को फिर से मैदान में उतारा है।
दिल्ली के कैबिनेट मंत्री रहे हुसैन का सामना इस बार भाजपा की वरिष्ठ नेता लता सोढ़ी से होगा। यह सीट भाजपा के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पार्टी ने यहां से कभी भी जीत हासिल नहीं की है।
दिल्ली में मतदान 8 फरवरी को होगा, नतीजे 11 फरवरी को आएंगे।


