मोदी सरकार में आए लोगों के बुरे दिन
देश में मुश्किल घड़ी के बीच जनता राहत की उम्मीद कर रही है. लेकिन उसे एक के बाद एक झटके लग रहे हैं. तमाम रेटिंग एजेंसियां अर्थव्यवस्था गिरने का दावा कर रही हैं. वहीं अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिसर्च रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है जिससे जनता को एक और धक्का लग सकता है. यहां तक कि मोदी सरकार की मुश्किलें भी बढ़ सकती है.

फिच, क्रिसिल और भारतीय रिजर्व बैंक दावा कर चुके हैं कि देश की अर्थव्यवस्था का ग्राफ बढ़ने की जगह अब और गिरेगा… इन दावों ने देश की जनता को और परेशान कर दिया है. बावजूद इसके सरकार के माथे पर बिल्कुल शिकन नहीं आई है. वो अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है. सरकार की असफलताओं का ही नतीजा है कि अब एसबीआई ने भी अलार्म बजा दिया है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिसर्च रिपोर्ट इकोरैप में अनुमान लगाया गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही मार्च से जून में भारत की जीडीपी (GDP) 16.5 फीसदी घट सकती है. SBI के अर्थशास्त्रियों ने जारी इकोरैप रिपोर्ट में कहा कि अब तक करीब 1000 कंपनियों ने पहली तिमाही के नतीजे जारी किए हैं, जिनमें टॉप कंपनियों के शुद्ध लाभ में 55% तक की कमी आई है। जबकि, इनके corporate GVA में सिर्फ 14.1% की गिरावट दर्ज की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़ी कंपनियों ने कॉस्ट कटिंग करके अपने रेवेन्यू को कम होने से बचाया है, जिससे उनके मार्जिन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में उन राज्यों का जिक्र किया गया है, जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. GDP में आई कुल गिरावट में 73.8% हिस्सेदारी सबसे अधिक जीडीपी वाले शीर्ष 10 बड़े राज्यों की है. इसमें महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 14.2 फीसदी, तमिलनाडु की 9.2 फीसदी, गुजरात की 8.4 फीसदी और उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 8.2 फीसदी है… हालांकि इस रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में अच्छी रिकवरी दिखेगी. साथ ही तीसरी और चौथी तिमाही में भी आर्थिक वृद्धि दर अच्छी रहेगी. अब एसबीआई ने अच्छी अर्थव्यवस्था की उम्मीद तो जता दी…लेकिन हालात देखकर लगता नहीं है कि ये संभव है…अब जीडीपी को सुधारना केवल मोदी सरकार के हाथ में है ऐसे में देखना होगा कि वो क्या कदम उठाती है.


