बाबरी मस्जिद और राम मंदिर विवाद पर स्वामी के कड़े तेवर
स्वामी ने ट्वीट किया कि मुस्लिम सरयू नदी पार मस्जिद का उनका प्रस्ताव मान लें, नहीं तो 2018 में राज्यसभा में बीजेपी के पास बहुमत होगा और उस वक्त कानून बनाकर राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ कर दिया जाएगा
नई दिल्ली। दशकों से अटके राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के विवाद को सुलझाने के लिए जहां एक तरफ देश की सर्वोच्चय आदालत ने आपसी बातचीत का मशवरा दिया है वहीं अब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी अपने कड़े तेवर दिखाकर मुद्दे को उलझाने पर उतारू हो गए हैं।
स्वामी ने ट्वीट किया कि मुस्लिम सरयू नदी पार मस्जिद का उनका प्रस्ताव मान लें, नहीं तो 2018 में राज्यसभा में बीजेपी के पास बहुमत होगा और उस वक्त कानून बनाकर राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ कर दिया जाएगा।
Muslim should accept my proposal for a masjid across Saryu. Or else in 2018 on getting the RS majority we will enact a law to build temple
— Subramanian Swamy (@Swamy39) March 21, 2017
स्वामी ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने जिस हिस्से को रामजन्मभूमि करार दिया है, वहां रामलला विराजमान हैं और उनकी रोज पूजा हो रही है। क्या कोई उनको वहां से हटा सकता है?
There is already a temporary Ramlala temple in Ramjanmabhoomi sanctioned by Supreme Court in 1994. Puja on. Can anyone dare to demolish it?
— Subramanian Swamy (@Swamy39) March 21, 2017
सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी की याचिका पर राम मंदिर मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि बेहतर होगा अगर हिंदू और मुस्लिम समाज कोर्ट से बाहर इस मुद्दे को लेकर समझौता करें । वहीं कोर्ट के सुझाव के बाद लम्बे अरसे से मुसलमानों का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने कहा था कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है। सुप्रीम कोर्ट अगर मध्यस्थता करने की पहल करता है तो इसके लिए मुस्लिम पक्ष पूरी तरह तैयार है लेकिन किसी बाहरी व्यक्ति की मध्यस्थता स्वीकार नहीं होगी।


